सिमबेक्स 15 - भारतीय-सिंगापुर नौसेना द्विपक्षीय अभ्यास
भारतीय नौसेना का पूर्वी बेड़ा, रियर एडमिरल अजेन्द्र बहादुर सिंह, वीएसएम, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग ईस्टर्न फ्लीट, के कमान के तहत दक्षिणी हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर में संक्रियात्मक तैनाती पर है। इस तैनाती के एक भाग के रूप में, आईएनएस सतपुड़ा, एक स्वदेश निर्मित निर्देशित मिसाइल स्टेल्थ युद्धपोत, जिसकी कमान कैप्टन हरि कृष्णन के हाथों में है, तथा आईएनएस कमोर्ता, स्वदेश निर्मित आधुनिकतम पनडुब्बी रोधी युद्धपोत, जिसकी कमान कमांडर मनोज कुमार झा के हाथों में है, ने 18 मई 2015 को सिंगापुर प्रवेश किया। इन जहाजों ने इमडेक्स-15 में भाग लेने के अलावा 23-26 मई 2015 के बीच सिंगापुर में द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास सिमबैक्स -15 में भाग लिया।
आईएन एवं आरएसएन के बीच संक्रियात्मक वार्ताओं की शुरुआत वर्ष 1994 में एएसडब्ल्यू प्रशिक्षण अभ्यास के साथ हुई थी, और गत 20 वर्षों में इस दिशा में लगातार प्रगति हुई है। वर्ष 1999 में वार्षिक द्विपक्षीय अभ्यास 'सिमबैक्स' के तौर पर इस संक्रियात्मक वार्ता को औपचारिक रूप दिया गया। शुरुआत के बाद से ही सिमबैक्स की सामरिक और संक्रियात्मक जटिलता में वृद्धि हुई है। इसने नौसेना के विभिन्न संक्रियात्मक पहलुओं, जैसे कि विमान-प्रतिरक्षा, हवा और सतह पर अभ्यास हेतु फायरिंग, समुद्रिक सुरक्षा तथा खोज एवं बचाव को शामिल करते हुए अधिक जटिल समुद्रिक अभ्यासों के लिए एएसडब्ल्यू पर बल देने के पारंपरिक तरीकों से आगे निकलने का प्रयास किया है। 22 से 28 मई 14 के बीच पोर्ट ब्लेयर में सिमबैक्स-14 का आयोजन किया गया था, जिसमें आरएसएन के जहाजों वैलर और इन्डिपेन्डन्स ने भाग लिया था, जबकि भारतीय नौसेना का प्रतिनिधित्व निर्देशित मिसाइल युद्धपोतों कार्मुक, कुठार और समुद्री गश्ती विमान डोर्नियर द्वारा किया गया था। इस वर्ष सिंगापुर की तरफ से आरएसएन जहाज सुप्रीम और पनडुब्बी आर्चर के साथ एमपीए और लड़ाकू विमान भाग लेंगे, जबकि भारतीय नौसेना की ओर से अपने अभिन्न हेलीकॉप्टर के साथ आईएनएस सतपुड़ा, आईएनएस कमोर्ता और समुद्रिक गश्ती विमान पी8आई की भागीदारी तय है।
सिंगापुर बंदरगाह की यह यात्रा, भारत और सिंगापुर के बीच 50 वर्षों के राजनयिक संबंधों के स्मरणोत्सव के अवसर के साथ आयोजित की गई। इस यात्रा का लक्ष्य द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना और दो मित्रवत राष्ट्रों की नौसेनाओं के बीच अन्तरसंक्रियता को प्रोत्साहन देना है। बंदरगाह में प्रवास के दौरान आधिकारिक स्तर की वार्ता, जहाज पर स्वागत, जहाजों को आगंतुकों के लिए खोला जाना, भारतीय नौसेना कर्मियों के लिए निर्देशित पर्यटन, तथा दोनों नौसेना के कर्मियों के बीच पेशेवर बातचीत जैसी विभिन्न गतिविधियों की योजना बनाई गई।