ओपी विजय पदक

Op Vijay Medal

प्राधिकार

संख्या 115-Pres/2001 – माननीय राष्ट्रपति की ओर से अपार हर्ष के साथ वर्ष 1999 में 'ऑपरेशन विजय' में सशस्त्र सेना के जवानों एवं नागरिकों की सेवाओं के सम्मान स्वरूप इस पदक की शुरुआत की गई; और इस संबंध में निम्नलिखित अध्यादेश को तैयार, विहित एवं स्थापित किया गया।

सर्वप्रथम: इस पदक को "ऑपरेशन विजय मेडल" के तौर पर नामित एवं निर्दिष्ट किया जाएगा (इसके बाद इसे पदक के रूप में संदर्भित किया गया है)।

दूसरी बात: ताम्र-निकल से निर्मित इस गोलाकार पदक का व्यास 35 मिमी होता है, जो मानक प्रतिमान के अलंकरणों के साथ एक सपाट क्षैतिज पट्टी में सुसज्जित होता है। इसके अग्र-भाग पर "जय स्तंभ" बना होता है और इसके बाहरी किनारे पर दोनों ओर अंग्रेजी और हिंदी में "जय स्तंभ" उत्कीर्ण होता है। इसके पृष्ठभाग पर एक वृत्त में राजकीय चिह्न बना होता है, जिसके बाह्य सिरे पर “ऑपरेशन विजय” उत्कीर्ण होता है। पदक के सुस्थिर प्रतिमान को जमा और सुरक्षित रखा जाएगा।

तीसरी बात: इस पदक को सीने पर बाईं ओर ग्रे रंग के रेशमी रिबन की मदद से धारण किया जाएगा, जिसकी चौड़ाई 32 मिमी होगी। यह रिबन लाल, गहरे नीले और हल्के नीले रंग के 2 मिमी की 3 धारियों द्वारा चार समान भागों में विभाजित होगा।

चौथी बात: निम्नलिखित सैन्यबलों के कर्मियों को इस पदक से सम्मानित किया जाएगा।

  • सेना, नौसेना और वायु सेना में प्रभावी कार्यभार संभालने वाले सभी वर्गों के सैन्यकर्मियों को इस पदक से सम्मानित किया गया, जो ऑपरेशन विजय में सहायता के लिए विभिन्न मुख्यालयों में संक्रिया की योजना बनाने एवं इसके संचालन हेतु संगठित/तैनात/शामिल थे। श्रीनगर, अवंतीपुर, लेह, थोईस और कारगिल में मौजूद वायु सेना कर्मी भी 'ऑपरेशन विजय पदक' के पात्र होंगे।
  • अर्धसैनिक बल, केंद्रीय पुलिस बल, रेलवे सुरक्षा बल, जम्मू-कश्मीर राज्य पुलिस बल, गृह रक्षा वाहिनी, नागरिक रक्षा संगठन और सरकार द्वारा निर्दिष्ट किसी भी अन्य संगठन के सभी रैंकों के कर्मी, जो संक्रियात्मक क्षेत्रों, अर्थात, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, गुजरात एवं राजस्थान तथा दक्षिणी एवं पश्चिमी युद्ध क्षेत्र में तैनात हैं, साथ ही सरकार द्वारा निर्दिष्ट ऐसे अन्य क्षेत्रों में तैनात किये गए किसी भी या सभी उपरोक्त संगठनों के सदस्य; तथा
  • संक्रियात्मक क्षेत्रों में उपर्युक्त बलों के आदेश/दिशानिर्देशों/पर्यवेक्षण के अधीन नियमित रूप से या अस्थायी रूप से काम करने वाले सभी नागरिक।

पाँचवीं बात: इस पदक के प्रयोजन के लिए अर्हक क्षेत्र निम्नानुसार होंगे

अर्हक क्षेत्र

नौसेना - समुद्रिक युद्धक्षेत्र में तैनात कर्मियों के अलावा पश्चिमी नौसेना कमान के युद्धपोतों एवं अधिष्ठापन में संक्रिया हेतु तैनात/संगठित सभी कर्मियों के साथ-साथ एनएचक्यू सहित ऑपरेशन विजय में सहायता के लिए विभिन्न मुख्यालयों में संक्रिया की योजना बनाने एवं रसद समर्थन में शामिल विभिन्न मुख्यालयों पर तैनात सैन्यकर्मी।

पात्रता की अवधि 01 मई 99 से 31 जनवरी 2000

छठी बात: सभी सैन्यकर्मी, जिन्होंने रहने की किसी भी अवधि में वीरता पुरस्कार या प्रशस्ति-पत्र प्राप्त किया अथवा शहीद या घायल या शारीरिक रूप से अक्षम हो गए, इस पदक के लिए योग्य होंगे। एक युद्धबंदी के तौर पर हिरासत की अवधि को भी पदक के लिए योग्य सेवा माना जाएगा।

सातवीं बात: किसी भी व्यक्ति के लिए पदक के पुरस्कार को रद्द करने और निरस्त करने तथा बाद में इसे पुनः प्रारंभ करने का अधिकार माननीय राष्ट्रपति के पास है।

आठवीं बात: इन अध्यादेशों को लागू करने के लिए सरकार द्वारा आवश्यक निर्देश दिए जा सकते हैं।

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