वाई.-12706 (इम्फाल) की कर्टन रेजर कमीशनिंग

भारतीय नौसेना 26 दिसंबर 2023 को नौसेना डॉकयार्ड, मुंबई में अपने नवीनतम स्टील्थ गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर इम्फाल को, मुख्य अतिथि के रूप में माननीय रक्षा मंत्री श्री. राजनाथ सिंह की उपस्थिति में कमीशन करने के लिए तैयार है। यह आयोजन भारतीय नौसेना के इन-हाउस संगठन, वारशिप डिजाइन ब्यूरो द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन किए गए और मझगांव डॉक लिमिटेड, मुंबई द्वारा निर्मित चार ‘विशाखापट्टनम’ श्रेणी के विध्वंसक में से तीसरे का नौसेना में औपचारिक रूप से शामिल होने का प्रतीक है । विशेष रूप से, इम्फाल पहला युद्धपोत है जिसका नाम पूर्वोत्तर के एक शहर के नाम पर रखा गया है, जिसके लिए राष्ट्रपति द्वारा 16 अप्रैल 2019 को मंजूरी दी गई थी, इस प्रकार राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता और समृद्धि के लिए क्षेत्र के महत्व को रेखांकित किया गया है।

बंदरगाह और समुद्र दोनों में कठोर और व्यापक परीक्षण कार्यक्रम पूरा करने के बाद 20 अक्टूबर 2023 को इम्फाल को भारतीय नौसेना को दिया गया।

इसके बाद, जहाज ने नवंबर 2023 में विस्तारित दूरी की सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जो कमीशन से पहले किसी भी स्वदेशी युद्धपोत के लिए प्रथम बार था, इस प्रकार यह युद्ध की प्रभावशीलता और अपने अत्याधुनिक स्वदेशी हथियारों और प्लेटफार्मों में विश्वास करने पर नौसेना के जोर देने का प्रदर्शन करता है। इस उपलब्धि के बाद, मणिपुर के माननीय मुख्यमंत्री और अन्य वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में, 28 नवंबर 2023 को नई दिल्ली में माननीय रक्षा मंत्री द्वारा जहाज के क्रेस्ट का अनावरण किया गया। कमीशन के बाद भा.नौ.पो. इम्फाल पश्चिमी नौसेना कमान में शामिल हो जाएगा।

नौसेना के बेड़े में एक महत्वपूर्ण जुड़ाव के साथ, इम्फाल एक अत्याधुनिक युद्धपोत है, जिसे भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किया गया है और मेसर्स एम.डी.एल. द्वारा निर्मित किया गया है, जिसमें एम.एस.एम.ई. और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डी.आर.डी.ओ.) सहित सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों से महत्वपूर्ण योगदान मिला है। परियोजना 15 बी. (विशाखापट्टनम वर्ग), परियोजना 15 ए. (कोलकाता वर्ग) और परियोजना 15 (दिल्ली वर्ग) के साथ स्वदेशी विध्वंसक उन्नत क्षमताओं और अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ नवीनतम है। 163 मीटर लंबा, 7,400 टन विस्थापन क्षमता और 75% स्वदेशी सामग्री के साथ, इम्फाल को भारत में निर्मित सबसे शक्तिशाली युद्धपोतों में से एक माना जा सकता है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ के राष्ट्रीय दृष्टिकोण की खोज में भारत के बढ़ते जहाज निर्माण कौशल का प्रमाण। इम्फाल ‘अमृत काल’ की राष्ट्रीय दृष्टि के अनुरूप विकसित भारत का एक सच्चा अग्रदूत भी है।

समुद्र में एक दुर्जेय गतिशील किला, इम्फाल 30 समुद्री मील से अधिक की गति प्राप्त करने में सक्षम है और अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर जैसे सतह से सतह मिसाइल और सतह से वायु मिसाइलों से लैस है। इस जहाज में एक आधुनिक निगरानी रडार लगा हुआ है जो जहाज की गनरी हथियार प्रणालियों को लक्षित आंकड़े प्रदान करता है। जहाज की पनडुब्बी रोधी वारफेयर क्षमताओं को स्वदेशी रूप से विकसित रॉकेट लांचर, टारपीडो लांचर और ए.एस.डब्ल्यू. हेलीकॉप्टर द्वारा बनाया गया है। यह जहाज परमाणु, जैविक और रासायनिक (एन.बी.सी.) युद्ध की स्थितियों में लड़ने के लिए सुसज्जित है और इसमें उच्च स्तर की स्वचालन और स्टेल्थ विशेषताएं हैं जो इसकी लड़ाकू क्षमता और टिके रहने की क्षमता को और बढ़ाती हैं।

इंफाल में लगे कुछ प्रमुख स्वदेशी उपकरणों/प्रणालियों में स्वदेशी मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल, टारपीडो ट्यूब, पनडुब्बी रोधी रॉकेट लांचर, सुपर रैपिड गन माउंट, लड़ाकू प्रबंधन प्रणाली, एकीकृत प्लेटफार्म प्रबंधन प्रणाली, स्वचालित विद्युत प्रबंधन प्रणाली, फोल्डेबल हैंगर डोर, हेलो ट्रैवर्सिंग सिस्टम, क्लोज-इन वेपन सिस्टम और बो. माउंटेड सोनार शामिल हैं। प्रमुख ओईएम, साथ ही एम.एस.एम.ई. जैसे बी.ई.एल., एल.एंड.टी., गोदरेज, मरीन इलेक्ट्रिकल, ब्रह्मोस, टेक्निको, किनेको, जीत एंड जीत, सुषमा मरीन, टेक्नो प्रोसेस आदि ने शक्तिशाली इम्फाल बनाने में योगदान दिया है।

इम्फाल के निर्माण और उसके परीक्षणों के लिए लिया गया समय किसी भी स्वदेशी विध्वंसक के लिए सबसे कम है। इम्फाल की कील 19 मई 2017 को रखी गई थी और जहाज को 20 अप्रैल 2019 में पानी में लॉन्च किया गया। इम्फाल 28 अप्रैल 2023 को अपने पहले समुद्री परीक्षणों के लिए रवाना हुआ और बंदरगाह और समुद्र दोनों में परीक्षणों की एक व्यापक श्रृंखला पूरी की, जो 20 अक्टूबर 2023 को छह महीने की रिकॉर्ड समय सीमा के भीतर इसके आकार के जहाज के लिए सबसे तेज़ इसकी सुपुर्दगी तक पूर्ण हुई।

इम्फाल को अब तक का सबसे बड़ा और सबसे उन्नत विध्वंसक होने का अनूठा गौरव प्राप्त होगा जिसका नाम उत्तर-पूर्व के किसी शहर के नाम पर रखा गया है। यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम में मणिपुर के बलिदानों और योगदानों के लिए एक सच्ची श्रद्धांजलि है, चाहे वह 1891 का एंग्लो-मणिपुर युद्ध हो; या मोइरंग में 14 अप्रैल 1944 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा पहली बार आई.एन.ए. ध्वज को फहराया गया हो; या ब्रिटिश और शाही जापानी सेनाओं के बीच इम्फाल की लड़ाई, जिसमें दोनों ओर से भारतीय लड़े थे, जिन्होंने बर्मा अभियान के रूख को बदल दिया और द्वितीय विश्व युद्ध और नई विश्व व्यवस्था के परिणाम को आकार दिया। इस प्रकार, इम्फाल की कमीशनिंग, राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता और समृद्धि के लिए इम्फाल शहर, मणिपुर राज्य और बड़े उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के महत्व और योगदान को दर्शाती है।  

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