दिली सीरीज़ सी पॉवर सेमिनार 2018: Page 2 of 3

भारतीय नौसेना अकादमी में डिल्ली श्रंखला समुद्री शक्ति सेमीनार 2018 की शुरूआत

भारतीय नौसेना अकादमी (आईएनए) में 11 अक्टूबर 2018 को ‘समुद्री शक्ति का भूराजनैतिक प्रभाव’ पर वार्षिक डिल्ली सेमीनार के पॉचवें संस्करण का शुरूआत हुई।  दो दिवसीय सेमीनार में अनेकों सेवारत वरिष्ठ नौसेना के अधिकारी, प्रतिष्ठित शिक्षाविद तथा गणमान्य दिग्गज भाग ले रहे हैं। आई एन ए के कमांडेंट वाइस एडमिरल आरबी पंडित, एवीएसएम, ने उद्घाटन भाषण दिया।

सेमीनार की कार्यवाही ‘हमारी विदेश तथा सामरिक नीतियों में महाद्वीपीय और समुद्री एकीकरण’ पर पूर्व राजनयिक तथा पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त रह चुके डॉ. टीसीए राघवन द्वारा डिल्ली आमंत्रण वार्तालाप से शुरू हुई।

पहले दिन का पहला सत्र ‘समुद्री शक्ति और उपनिवेशन’ के नाम रहा, जिसकी अध्यक्षता कमोडोर ओडक्कल जॉन्सन ने की तथा लेखिका डॉ. अनुपमा घोष की ‘द बैटल ऑफ दियू’  पर प्रस्तुतीकरण से शुरूआत हुई एवं वाइस एडमिरल प्रदीप चौहान, एवीएसएम एवं बार, वीएसएम (सेवानिवृत्त) ने वास्को डा गामा के कालीकट में आगमन के बाद के दशक में नौसेना की लड़ाइयों का तथा उस समय की बड़ी भू-राजनीति में उनकी यात्राओं का विश्लेषण किया। ज़मोरिन के नेतृत्व में संयुक्त बलों की हार के कारण तथा इसका भारत के इतिहास में पड़ने वाले प्रभाव को भी शामिल किया गया था।

दूसरा दस्तावेज ‘स्थानों और आधारों को –कैसे हिंद महासागर में एंग्लो – फ्रेंच प्रतिद्वंद्वता ने व्यापार सुरक्षा के लिए नौसेना की रणनीति को प्रभावित किया’ विषय पर कमांडर योगेश वी अठावले द्वारा प्रस्तुत किया गया। अधिकारी, पनडुब्बी प्रतिरोधी जंग में विशेषज्ञ पेशेवर प्रकाशनों में नियमित योगदानकर्ता है तथा अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय जरनलों में प्रकाशित होते रहे हैं। दस्तावेज में से एंग्लो-फ्रेच प्रतिद्वंद्वता का पता लगाया गया है तथा इसके सामरिक, प्रचालनात्मक और नीतिगत आयामों को छुआ है । औपनिवेशिक प्रतियोगियों की रणनीतियों को आकार देने में समुद्री शक्ति की खासियत तथा परिणाम निर्धारित करने में इसकी निर्णायक भूमिका को भी प्रस्तुतीकरण के दौरान बताया गया था।

पहले दिन के ‘चीन की बेल्ट तथा सड़क की पहल’ नाम के दूसरे सत्र की अध्यक्षता कमॉडोर सुशांत डाम, वीएसएम ने की और, ‘एक बेल्ट एक रोड’ विषय पर दस्तावेज़ के साथ रियर एडमिरल धीरेन विग, अतिरिक्त महानिदेशक, प्रोजक्ट सीबर्ड, ने सत्र की शुरूआत की। दस्तावेज में चीन द्वारा शुरू की गयी बेल्ट रोड तथा इसके समुद्री आयामों पर चर्चा की गयी थी।

तक्षशिला संस्थान के सह-संस्थापक तथा निदेशक श्री नितिन पई द्वारा ‘भारत के समुद्री पड़ोस में चीन की सहभागिता का आकलन करना’ पर लिखित एक दस्तावेज ने संकल्पना परिवर्तन तथा अनिश्चितता की संभावनाओं एवं भारत को अपने राष्ट्रीय हितों को बढावा देने कि लिए क्या करना चाहिए, के  बारे में चर्चा की।

भा नौ पो  रंजीत के कमान अधिकारी कैप्टेन वीसी मेहरा, ने ‘चीन की समुद्री शक्ति तथा बेल्ट एवं रोड पहल: 21वीं शताब्दी में उपनिवेशीकरण के लिए महानियान ब्लूप्रिंट’ विषय पर अपने दस्तावेज को पेश किया। दस्तावेज मे कुछ तत्वों पर विशेष रूप से प्रकाश डाला जोकि महन की किताब के अनुसार विकासशील समुद्री शक्ति के लिए तथा जिस तरीके से चीन इसे लागू कर रहा है, आवश्यक है।

सेमीनार के दूसरे दिन समापन दिवस पर चार दस्तावेज प्रस्तुत किए जाएंगे। इनमें आईएनए के कैडेट द्वारा ‘गनबोट कूटनीति: भारत-प्रशांत क्षेत्र में उभरते खिलाड़ी और संबद्ध चुनौतियां’, वाइस एडमिरल प्रदीप चौहान, एवीएसएम एवं बार, वीएसम (सेवानिवृत्त) तथा कमॉडोर जी प्रकाश द्वारा ‘गन बोट कूटनीति’ एवं  कमांडर पी रथीस का ‘आईओआर में समुद्री शक्ति’ शामिल है।

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