भारत की रक्षा मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण व सिंगापुर के रक्षा मंत्री डॉ. हुआंग योंगहोंग द्वारा संयुक्त कथन
भारत की रक्षा मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण व सिंगापुर के रक्षा मंत्री डॉ. हुआंग योंगहोंग द्वारा संयुक्त कथन
भारत व सिंगापुर के बीच तीसरी रक्षा मंत्री वार्ता (डीएमडी) का 20 नवंबर 2018 को सफलतापूर्वक समापन किया गया। डीएमडी की शुरुआत सिंगापुर सशस्त्र बल व भारतीय सशस्त्र बल के बीच लंबे समय से चले आ रहे रक्षा संबंधों को और मजबूत करने के लिए वर्ष 2015 में दोनों देशों द्वारा संशोधित रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद हुई।
इस बैठक के दौरान सबसे महत्वपूर्ण था भारत में संयुक्त सेना प्रशिक्षण व अभ्यास के आयोजन हेतु द्विपक्षीय समझौते का नवीकरण किया जाना। इस समझौते के द्वारा भारत में सिंगापुर सशस्त्र बल के लिए संयुक्त प्रशिक्षण के साथ-साथ अभ्यास हेतु विस्तृत रूपरेखा को निर्धारित किया गया है जिससे कि दोनों सशस्त्र बलों के बीच सहयोग को और मजबूती मिलेगी।
इससे पहले, डॉ. हुआंग योंगहोंग ने भा नौ पो शक्ति पर सिंगापुर-भारत समुद्री द्विपक्षीय अभ्यास, सिम्बेक्स 2018 के 25वें संस्करण के अंतिम समुद्री चरण में भाग लिया। इस बहुआयामी अभ्यास के अंतर्गत दोनों ओर से पोतों, पनडुब्बियों के साथ-साथ विमानों ने भाग लिया और समुद्र में सजीव गोलाबारी का आयोजन किया गया। दोनों मंत्रियों ने दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच लंबे समय से चले आ रहे संबंधों के साक्षी इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में भाग लेने और इसे सफल बनाने के लिए सभी कर्मचारियों को प्रशंसा की।
दोनों मंत्रियों ने जून 2018 में नौसेना द्वारा पारस्परिक सहयोग, रसद व सेवा समर्थन से संबंधित व्यवस्था के क्रियान्वयन और नवंबर 2017 में समाप्त नौसेना द्विपक्षीय व्यवस्था के समापन की प्रशंसा की जिसके चलते द्विपक्षीय नौसेना सहयोग का विस्तार हुआ है व उसे मजबूती मिली है।
डॉ. हुआंग योंगहोंग ने 2018 शांग्री-ला वार्ता में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मुख्य भाषण की प्रशंसा की, जिसमें प्रधानमंत्री ने भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए भारत की परिकल्पना को व्यक्त किया था। इस संबंध में, सिंगापुर के साथ मलक्का की खाड़ी में गश्त में आसियान के सदस्य देशों के साथ भारत की प्रगाढ़ सहभागिता का सिंगापुर जोरदार रूप से समर्थन करता है और अंडमान सागर में थाईलैंड के साथ त्रिपक्षीय समुद्री अभ्यास के आरंभिक आयोजन की आशा करता है।
श्रीमती सीतारमण ने आसियान रक्षा मंत्री बैठक (एडीएमएम)-प्लस के क्षेत्रीय सुरक्षा निर्माण व उसकी अनेक गतिविधियों भारत के पूर्ण सहयोग और सक्रिय भागीदारी की पुष्टि की। एडीएमएम प्लस के सदस्य के रूप में, भारत हवाई सैन्य भिड़ंत के लिए दिशानिर्देश के अनुपालन का समर्थन करता है।
तटवर्ती देशों द्वारा संचार की मुख्य समुद्री लाइनों के प्रसार के साथ ही, मंत्रियों ने समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन सहित अंतरराष्ट्रीय कानून से नेविगेशन व उड़ान की स्वतंत्रता को कायम रखने के महत्व पर ज़ोर दिया।
श्रीमती सीतारमण ने भारत के विश्वास की पुनःपुष्टि करते हुए कहा कि विवादों का निपटारा शांतिपूर्ण माध्यमों से, और अंतरराष्ट्रीय कानून के सार्व्बहुमिक रूप से मान्य सिद्धांतों के अनुसार किया जाना चाहिए। दोनों मंत्रियों ने पारदेशी सुरक्षा को होने वाले खतरों से निपटने में अंतरराष्ट्रीय सहयोग और विशेष रूप से आतंकवाद के खतरे से सामूहिक रूप से निपटने के लिए किए जाने वाले उपायों के महत्व पर सहमती जताई।
दोनों मंत्रियों ने आसूचना व सूचना सहभाजन में वृद्धि करने, जिसमें विशेष रूप से समुद्री सुरक्षा व आतंकवाद से निपटने के क्षेत्र शामिल हैं और पनडुब्बी सुरक्षा व बचाव पर सहयोग का विस्तार करने पर सहमती प्रदान की।
मंत्रियों ने भारत-सिंगापुर रक्षा प्रौद्योगिकी संचालन समिति और भारत-सिंगापुर रक्षा उद्योग कार्य समूह के तत्वाधान के तहत रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग में की गई प्रगति की भी सराहना की। इन संयुक्त शोध व विकास सहयोगों में युद्ध के समय देखभाल व वाहन कवच जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
मंत्रियों ने भारत व सिंगापुर के बीच गहरे होते रक्षा संबंधों पर संतुष्टि जताई और आगे ऐसी पहलों का समर्थन करने के उनके वचन की पुनःपुष्टि की जो कि क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देंगे। अगले वर्ष पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तिथियों पर सिंगापुर में चौथे डीएमडी के आयोजन पर भी सहमती प्रदान की गई।