एडमिरल सुनील लांबा, नौसेनाध्यक्ष पूर्वी नौसेना कमान, विशाखापट्टनम के अपने विदाई दौरे पर

एडमिरल सुनील लांबा, नौसेनाध्यक्ष पूर्वी नौसेना कमान, विशाखापट्टनम के अपने विदाई दौरे पर

पीवीएसएम, एवीएसएम, एडीसी, नौसेनाध्यक्ष (सीएनएस), एडमिरल सुनील लांबा के साथ नौसेना पत्नी कल्याण संघ की अध्यक्षा, श्रीमती रीना लांबा 15 मई 2019 को पूर्वी नौसेना कमान (ईएनसी) के अपने तीन दिवसीय विदाई दौरे पर विशाखापट्टनम पहुंची। वहां पहुँचने पर एडमिरल लांबा का स्वागत भा नौ पो देगा पर फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, वाइस एडमिरल करमबीर सिंह ने किया। विशाखापट्टनम में अपने प्रवास के दौरान, सीएनएस ईएनसी के अधिकारियों, नाविकों और रक्षा असैनिकों से बातचीत करेंगे, साथ ही वे समुद्र में पूर्वी बेड़े की यात्रा करेंगे।

एडमिरल सुनील लांबा चार दशकों से भी अधिक की विशिष्ट सेवा के बाद 31 मई 2019 को नौसेना से सेवानिवृत्त होंगे। उनके चार दशकों से अधिक के अनुभव में विभिन्न मुख्यालयों, परिचालन व प्रशिक्षण प्रतिष्ठानों, साथ में तीनों बलों से संबंधित संस्थाओं सहित समुद्र और तट पर कार्यकाल शामिल है। उनके समुद्री कार्यकाल में माइन काउंटर मेज़र वेसल, भा नौ पो काकीनाड़ा, स्वदेशी लीएंडर क्लास के फ्रिगेट, भा नौ पो रणविजय, काशिन क्लास के डिस्ट्रॉयर और स्वदेशी दिल्ली क्लास के डिस्ट्रॉयर, भा नौ पो मुंबई की कमान शामिल है। वे विमान वाहक, भा नौ पो विराट के कार्यकारी अधिकारी और पश्चिमी बेड़े के बेड़ा परिचालन अधिकारी भी रह चुके हैं।

फ्लैग रैंक पर पदोन्नति होने पर, एडमिरल लांबा ने नौसेना में अनेक महत्व्प्पूर्ण असाइंमेंट्स पर काम किया है जिसमें स्टाफ प्रमुख, एसएनसी, फ्लैग ऑफिसर समुद्र प्रशिक्षण और महाराष्ट्र और गुजरात नौसेना क्षेत्र के कमान फ्लैग ऑफिसर का कार्यभार शामिल है। वाइस एडमिरल के रूप में पदोन्नति होने पर, वे स्टाफ प्रमुख, ईएनसी, कमांडेंट, नेशनल डिफेंस कॉलेज और नौसेनाध्यक्ष रह चुके हैं। 31 मई 2016 को नौसेना स्टाफ के 23वें प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालने से पहले, वे दक्षिण और पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमान प्रमुख रह चुके थे। 01 जनवरी 17 को उन्होंने स्टाफ समिति प्रमुख के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला।

सीएनएस के रूप में पिछले तीन वर्षों के दौरान, एडमिरल लांबा ने भारतीय नौसेना के परिचालन, प्रशिक्षण और संगठनात्मक सिद्धांत में कई बदलावों का मार्ग प्रशस्त किया। जून 2017 में शुरू की गई मिशन आधारित नियुक्ति ने संचार के महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों और रुकावट के स्थानों के साथ-साथ मिशन के लिए तैयार पोतों और विमानों की तैनाती के परिचालन सिद्धांत को बदल दिया। ये पोत समुद्री आतंकवाद और पायरेसी से लेकर एचएडीआर तक विविध परिचालनों के समय किसी भी संभावना से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। मिशन आधारित तैनाती ने भारतीय नौसेना की इकाइयों को संकट की स्थिति और हिंद महासागर के क्षेत्र में शुद्ध सुरक्षा प्रदाता के रूप में पहला प्रतिक्रियाकर्ता बनने में सक्षम किया। एडमिरल लांबा ने नए परिवर्तन चक्र के क्रियांवयन का भी संचालन किया है जिसने परिचालन कार्यों और मिशन आधारित तैनातियों को पूरा करने में पोतों और पनडुब्बियों की कुल तैयारी में सुधार में मदद की है।

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