भा नौ पो एक्सिला

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

स्वदेशी समुद्री गैस टरबाइन जाँच और मरम्मत सुविधा बनाने का विचार शुरुआती अस्सी के दशक में हुआ था। एक समग्र, स्वयं निर्भर गैस टरबाइन जाँच और मरम्मत सुविधा के निर्माण में लिया गया जिसमे सेवा कर्मियों को रखा जाए जो न केवल एम3 गैस टरबाइनों की देख-रेख करेंगे बल्कि भविष्य में अधिग्रहण किये जाने वाले टरबाइनों का भी। इसके लिए सरकार की मंजूरी सितंबर 1984 में दी गई थी। 25 अगस्त 1988 को तत्कालीन फ्लैग आफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, पूर्वी नौसेना कमान के वाइस एडमिरल एससी चोपड़ा पीवीएसएम, एवीएसएम, एनएम द्वारा नींव का पत्थर रखा गया था। स्थापना का उद्घाटन 22 अक्टूबर 1991 को तत्कालीन चीफ ऑफ नवल स्टाफ, एडमिरल एल रामदास पीवीएसएम, एवीएसएम, वीआर सी, वीएसएम, एडीसी द्वारा समुद्री गैस टरबाइन जाँच और मरम्मत केंद्र के रूप में किया गया था। स्थापना का उद्घाटन भारतीय नौसेना की आत्मनिर्भरता के प्रयासों में एक मील का पत्थर था।

26 अगस्त 2000 को तमिलनाडु के गवर्नर, महामहिम न्यायमूर्ति सुश्री एम फातिमा बीवी ने प्रतिष्ठान को भारतीय नौसेना के जहाज के रूप में शुरू किया था।

"एक्सिला" नाम "इकासिला नागारामु" (वर्तमान का वारंगल) से लिया गया है जो काकतीय राजवंश के दौरान आंध्र क्षेत्र की राजधानी थी। यह शहर राजा रुद्र देव के शासनकाल के दौरान बनाया गया था, जिसने 1158 - 1198 ईस्वी के दौरान शासन किया था। नाम एक एकल चट्टान पहाड़ी जिसे "इकासिला" कहा जाता है, का प्रतीक है, जिसके आस-पास वारंगल किला का निर्माण महान काकतीय वंश के राजा गणपति देव द्वारा किया गया था।

कार्य/भूमिका

प्रतिष्ठान ने अपनी स्थापना के बाद से बीस वर्षों के दौरान एक लंबी और शानदार यात्रा की है। भा.नौ.पो एक्सिला की प्राथमिक भूमिका और कार्य भविष्य में अधिग्रहण सहित भारतीय नौसेना के जहाजों पर स्थापित समुद्री गैस टरबाइन (जीटी) और गैस टरबाइन जेनरेटर (जीटीजी) की वृहद् जाँच और मरम्मत का संचालन करना है। पहली जाँच और मरम्मत शुदा गैस टरबाइन (एम3ई) अगस्त 1995 में इस अनूठी सुविधा के पोर्टलों से बाहर निकला और भा.नौ.पो रणवीर पर स्थापित किया गया था। पहला स्वदेशी रूप से जाँच और मरम्मत शुदा मुख्य चालक जीटीजी (गैस टरबाइन जनरेटर) दिसंबर 1996 में सफल टेस्ट बेड परीक्षणों से गुजरा। प्रतिष्ठान को अब 66 से अधिक गैस टरबाइनों (34 एम3ई जीटी, 26 1250 ई जीटीजी, 03 1250 2ई जीटीजी, 01 एम15 सीजीटी, 01 एम15 सीआरजी) की जाँच और मरम्मत करने का संचयी अनुभव है।

भा.नौ.पो एक्सिला को निम्नलिखित जिम्मेदारियां भी सौंपा गया है:-

जीटी संगोष्ठी का आयोजन

Conduct of Gas Turbine Symposium

गैस टरबाइन संगोष्ठी का आयोजन

वार्षिक समुद्री गैस टरबाइन मरम्मत संगोष्ठी, "समुद्री गैस टरबाइन रखरखाव प्रौद्योगिकी में उभरते रुझान/नवाचार" 19 अप्रैल 12 को आयोजित की गयी थी। जीएम मरम्मत पर पहली बार संगोष्ठी आयोजित की गयी थी और भा.नौ.पो एक्सिला द्वारा इन-सिटू मरम्मत सहित जीटी मरम्मत में उभरते रुझानों पर ध्यान केंद्रित किया गया था। संगोष्ठी को नौसेना, निजी उद्योगों, अनुसंधान प्रतिष्ठानों आदि से जबरदस्त प्रतिक्रिया प्राप्त हुई और सभी ने सराहना की। समुद्री गैस टरबाइन के ओईएमएस, मैसर्स रोल्स-रॉयस, यूके, मैसर्स जीई, यूएसए और मैसर्स ज़ोर्या मैशप्रोएक्ट, यूक्रेन ने संगोष्ठी के दौरान भाग लिया और अपने पेपर प्रस्तुत किए।

जीटीएमसी 2012 और डीएमसी 2012

मार्च 2012 में एचक्यूएनसी के तहत जीटीएमसी 12 का समग्र समन्वयन भा.नौ.पो एक्सिला द्वारा किया गया था। बैठक में सभी कमानों और आईएचक्यू एमओडी(एन) के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। सभी प्रतिनिधियों और मुख्य अतिथियों द्वारा समन्वय और व्यवस्था की सराहना की गई।

नौसेना अधिकारी संस्थान (वी) का प्रबंधन

नौसेना अधिकारी संस्थान, विशाखापट्टनम अधिकारियों और उनके आश्रितों को विभिन्न मनोरंजक सुविधाएं प्रदान करता है। संस्थान भा.नौ.पो एक्सिला द्वारा प्रबंधित किया जाता है और कार्यों में नौसेना बॉल जैसे विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन शामिल होता है।

प्रमुख उपलब्धियां

एम 15 क्रूज गैस टरबाइन

भारतीय नौसेना के इतिहास में ओईएम सहायता के बिना एम15 क्रूज गैस टरबाइन की पहली सफल जाँच और मरम्मत की गई। जाँच और मरम्मत के लिए अनुमति 1989 में दी गई थी। 2008 तक औजारों, विशेष परीक्षण स्टैंड इत्यादि की अनुपलब्धता जैसी कुछ बाधाओं के कारण जाँच और मरम्मत के मोर्चे पर कोई बड़ी प्रगति नहीं हुई थी। 2008 में एक्सिला ने ओईएम की सहायता के बिना गैस टरबाइन की जाँच और मरम्मत करने का साहसिक निर्णय लिया था और सभी बाधाओं को घरेलू प्रयासों से दूर किया गया था।

  • एम 15 क्रूज गैस टरबाइन
  • जीटीजी 1250 2ईएम 15 क्रूज़ गैस टरबाइन की पहली जाँच और मरम्मत
  • जीटीजी 1250 2ई की पहली जाँच और मरम्मत

भा नौ पो एक्सिला ने जीटीजी 1250 2ई टीसी की पहली जाँच और मरम्मत को पूरा करके एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार कर लिया है। जीटीजी 1250 2ई टीसी की पहली सफल वृहद् जाँच और मरम्मत के बाद सफल बेड परीक्षण 2½ महीने के रिकार्ड समय में पूरा हो गया। पश्चिमी नौसेना कमान को देने के लिए 2½ महीने की कठोर समय सीमा और इस महत्वपूर्ण मशीन की जाँच और मरम्मत के पहले प्रयास के दौरान सामना की जाने वाली तकनीकी चुनौतियों पर विचार करने पर जाँच और मरम्मत अच्छी तरह से निष्पादित परियोजना थी।

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