एफओडीएजी

फ्लैग आफिसर रक्षा सलाहकार समूह

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

मुख्यालय, अपतटीय रक्षा सलाहकार समूह (मुख्यालय) का गठन 31 दिसंबर 1983 को अपतटीय क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था पर योजना बनाने और नौसेना स्टाफ और ओएनजीसी को सलाह देने के लिए किया गया था। यह भारत के समुद्री क्षेत्रों के भीतर अपतटीय प्रतिष्ठानों की रक्षा से संबंधित मामलों में ओएनजीसी और अन्य तेल अन्वेषण और उत्पादन (ई एंड पी) कंपनियों के साथ सभी वर्ताओं के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है। संगठन का नेतृत्व फ्लैग ऑफिसर रक्षा सलाहकार समूह (एफओडीएजी) करता है, जिसका पदनाम बाद में 25 जून 02 को बदल कर "भारत सरकार के लिए एफओडीएजी और अपतटीय सुरक्षा और रक्षा सलाहकार" कर दिया गया था।

कार्य/भूमिका

एफओडीएजी के प्राथमिक कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:-

  • नौसेना प्रमुख के माध्यम से रक्षा मंत्रालय, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय तथा नौवहन और नागरिक उड्डयन मंत्रालयों सहित भारत सरकार को क्षेत्रीय जल, महाद्वीपीय शेल्फ, विशेष आर्थिक क्षेत्र और भारत के अन्य समुद्री क्षेत्र को शामिल करते हुए, जैसा कि एमजेडआई अधिनियम 1981 में परिभाषित है, अपतटीय सुरक्षा की सभी योजनाओं और नीतिगत पहलुओं पर सलाह देना। इन पहलुओं में शामिल हैं:-
    • अपतटीय सुरक्षा व्यवस्थाओं की क्रियाशीलता का समन्वय।
    • अपतटीय प्रतिष्ठानों और टर्मिनलों को विभिन्न खतरों की पहचान।
    • युद्ध जैसी स्थितियों में सैन्य खतरों की पहचान और परिभाषित करना।
    • अपतटीय अन्वेषण में संलग्न सभी संस्थाओं के संबंध में और अपतटीय प्रतिष्ठानों और टर्मिनल की सुरक्षा के लिए आवश्यक अन्य उपायों के संबंध में उचित सुरक्षा उपायों की परीक्षा और प्रस्ताव करना।
  • संबंधित कमांडर-इन-चीफों के निर्देश में अपतटीय प्रतिष्ठानों की रक्षा में सचल सैन्य बलों और स्थिर सैन्य बलों पर कमांड और नियंत्रण का उपयोग करना।
  • संबंधित नागरिक अधिकारियों के समन्वय में, अपतटीय क्षेत्रों के आसपास के अनुशंसित मार्गों/फेयरवे के माध्यम से होने वाले पारगमन के लिए व्यापारिक यातायात की निगरानी करना।
  • सक्षम प्राधिकारी द्वारा दी गई सुरक्षा मंजूरी के अनुपालन का पता लगाने के उद्देश्य से, अपतटीय काम में लगे जहाजों का तैनात किए जाने से पहले निरीक्षण करना।
  • एफओडीएजी अपतटीय सुरक्षा समन्वय समिति (ओएससीसी) का भी सदस्य होता है, जो अपतटीय सुरक्षा का प्रबंधन करता है। वह अपतटीय संयुक्त उद्यम सुरक्षा सलाहकार समिति (जेवीओपीएसी) का भी अध्यक्ष होता है जो ओएससीसी की एक उप समिति है और ओएससीसी और अपतटीय जेवी/निजी तेल कंपनियों के बीच सुरक्षा और अपतटीय मुद्दों के आदान-प्रदान की सुविधा के लिए एक मंच है, क्योंकि संयुक्त उद्यम/निजी कंपनियों का ओएससीसी में प्रतिनिधित्व नहीं होता है।

उपलब्धियां

  • सभी अपतटीय ई एंड पी ऑपरेटरों को ओएससीसी/जेवीओपीएसी के माध्यम से उनके इंस्टॉलेशनों के लिए सुरक्षा उपायों को बढ़ाने की आवश्यकताओं के बारे में संवेदनशील बनाना।
  • वेसल एयर ट्रैफिक प्रबंधन प्रणाली का उपयोग कर पश्चिमी तट के आसपास के अपतटीय संपत्तियों और क्षेत्रों की निरंतर रडार और एआईएस निगरानी।
  • ओएनजीसी द्वारा प्रदान की गई किराए पर ली गई नौकाओं द्वारा अपतटीय प्लेटफार्मों के बिलकुल आस-पास में सशस्त्र गश्ती।
  • पश्चिमी अपतटीय विकास क्षेत्रों में सुरक्षा फेयरवे के अनुपालन के लिए व्यापारिक परिवहन की निगरानी और मार्गदर्शन करना।
  • अपतटीय विकास क्षेत्र के अंदर केवल अधिकृत जहाजों के आवागमन को सुनिश्चित करना।
  • पूर्वी तट पर अपतटीय संपत्तियों की सुरक्षा के लिए एक मजबूत निगरानी व्यवस्था की स्थापना की संकल्पना और शुरुआत।
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