आईएनएचएस अश्विनी

INHS Asvini

आईएनएचएस अश्विनी

इतिहास

आईएनएचएस असविनी समस्त नौसेना अस्पतालों में पहला अस्पताल है, जहां 1756 में रोगियों की देखभाल करने के लिए किंग्स सीमेन हॉस्पिटल की शुरूआत बैरकों में हुई। 1860 में अष्टकोणीय भवन संख्या 3 (हवा महल) का निर्माण बॉम्बे मरीन अस्पताल के मुख्य वार्ड के रूप में किया गया था। 1899 में, मुख्य ब्लॉक (बिल्डिंग नंबर 1) का निर्माण किया गया और उसके बाद, बिल्डिंग नंबर 26 (अधिकारी वार्ड) को इसमें शामिल किया गया। 18 सितंबर 1951 को सैन्य अस्पताल, कोलाबा को नौसेना में कमीशन किया गया और आईएनएचएस असविनी के रूप में इसे नामित किया गया। नौसेना में एक अस्पताल के लिए अधिक संख्या में रोगियों की देखभाल संबंधी सुविधाओं और प्रशिक्षित कर्मचारियों की बढ़ती आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए जुलाई 1954 में एक सिक बर्थ स्कूल की स्थापना की गई। इसके बाद 1961 में डेंटल सेंटर और फरवरी 1963 में एक प्रोबेशनर नर्सिस स्कूल भी स्थापित किया गया। जैसे-जैसे साल बीते आईएनएचएस असविनी अस्पताल में बिस्तरों की संख्या 1966 में 300 से बढ़कर 600 और 1976 में 792 हो गई। जनवरी 1977 में असविनी को कमांड अस्पताल के रूप में वर्गीकृत किया गया जहां बिस्तरों की संख्या 825 थी।

मई 1992 में, संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति ने अस्पताल की आधुनिकीकरण योजनाओं के लिए उस पर आने वाली 136 करोड़ रुपये की कुल लागत पर अपना अनुमोदन प्रदान किया। 1996 में, एक नई इमारत के निर्माण का कार्य शुरू हुआ, जबकि हैरिटेज बिल्डिंगों को अपरिवर्तित कर उनके गौरव को बरक़रार रखा गया। नवीन इमारत स्थल मौजूदा अस्पताल के नजदीक था, और अस्पताल के कर्मचारियों के प्रयासों के कारण, रोगियों की देखभाल में कोई कमी नहीं रखी गई, जबकि अस्पताल की बिल्डिंग का निर्माण तथा नई इमारत में शिफ्ट करने का बाद का कार्य भी चलता रहा। आज, जबकि निर्माण कार्य समापन की ओर है, समस्त नौसेना समुदाय, खासकर जो मुंबई में हैं, भारत में सर्वश्रेष्ठ अस्पतालों में से एक की सेवाएं प्राप्त करने में गौरवान्वित महसूस कर सकते हैं। आर्ट पेशेंट केयर सिस्टम से सुसज्जित, 24x7 ऑनलाइन पेशेंट डेटा मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर के साथ सुपर विशेषज्ञों और नर्सिंग स्टाफ की एक समर्पित टीम के होते हुए, आईएनएचएस असविनी अपनी सादगीपूर्ण शुरुआत से सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा का चमचमता गहना बन गया है।

उन्नत चिकित्सा सुविधाओं का प्रावधान

क्रिटिकल केयर बेड्स-

नए आईसीयू में 22 बिस्तर हैं। इसमें एक अलग कार्डियाक सर्जरी केयर यूनिट और न्यूरो की 5 यूनिट हैं। डायलिसिस यूनिट में 10 बेड हैं। इसी तरह एक्यूट मेडिकल (तीव्र चिकित्सा) और एक्यूट सर्जिकल बेड्स (तीव्र शल्य चिकित्सा बिस्तरों) को प्रत्येक में 20 में संवर्धित किया गया है। 6 बिस्तरों वाला एक अलग बर्न्स सेंटर और 5 बिस्तरों वाला रिजर्व आईसोलेशन यूनिट भी मुहैय्या कराया गया है। एनआईसीयू, आईसीयू, बर्न्स यूनिट, डायलिसिस यूनिट और ऑपरेशन थियेटर सेंट्रली एयर कंडीशन्ड हैं और इनमें आधुनिक सुविधाएं जैसे पाइपड मेडिकल गैसेज़, सेंट्रल सक्शन, कम्प्रेस्ड एयर, बिजली की निर्बाध आपूर्ति और स्टैंडबाई जेनरेटर की आपूर्ति भी है।

सुपर स्पेशलिटी सेंटर

कार्डियोलॉजी सेंटर-

1985 में आईएनएचएस असविनी में एक कार्डियोलॉजी सेंटर की स्थापना की गई थी। 2004 में कार्डियक कैथ-लैब की स्थापना के साथ, विभाग ने एक उत्कृष्टत केंद्र के रूप में अपनी पहचान बनाई। आज तीव्र म्योकॉर्डियल इंफार्क्शन के सभी रोगी, जो समय पर रिपोर्ट करते हैं, उनकी प्राथमिक एंजियोप्लास्टी की जाती है। जन्मजात हृदय रोगों में डिवाइस क्लोज़र्स और व्यापक आर्हिथमिया मैनेजमेंट के साथ एडवांस इलेक्ट्रोफिज़ीयोलोजी तथा रेडियोफ्रिक्युएंसी एबलेशन प्रकियाएं, इम्पलांटिंग कार्डियोवर्टर तथा पेस मेकर कुछ ऐसी अत्यधिक एडवांस प्रक्रियाएं हैं जो रूटीन (नियमित रूप से) से इस सेंटर में की जाती हैं। कार्डियाक री-सिंक्रनाइज़ेशन डिवाइस थेरेपी, पूर्ण अल्कोहल इंजेक्शन वाली सेपटल हाईपरट्राफी का ट्रांसकोरोनरी एबलेशन तथा अन्य असाधारण चुनौतिपूर्ण प्रक्रियाओं को भी अपनाया गया है। डायग्नोस्टिक आधार पर, कोरोनरी एंजियोग्राफी के अलावा, ट्रैनस्टोरैसिक और ट्रांससोफेजियल इको कार्डियोग्राफी, कम्प्यूटरीकृत ट्रेडमिल स्ट्रेस (तनाव) परीक्षण, रेडियोन्यूक्लाइड स्ट्रेस (तनाव) परीक्षण, स्ट्रेस (तनाव) इको (प्रतिध्वनि), होल्टर मोनीटरिंग (निगरानी) और एचयूटीटी कम्पलिट आर्मामेंटेरियम भी यहां पर किए जाते हैं।

नेफ्रोलोजी, यूरोलोजी (मूत्रविज्ञान) और रेनल ट्रांसप्लांट सेंटर-

अंत चरण रेनल रोग (ईएसआरडी) या गुर्दे की विफलता विकृति और मृत्यु दर का एक महत्वपूर्ण कारण है। आईएनएचएस असविनी में ऐसे मरीजों की देखभाल करने के लिए सामयिक रेनल देखभाल सुविधा उपलब्ध है। असविनी का नेफ्रोलॉजी विभाग देश में सबसे पुराना है और सशस्त्र बलों में गुर्दा प्रत्यारोपण में अग्रणी है। इस केंद्र में कुल 275 गुर्दे प्रत्यारोपण किए गए हैं। इसके परिणामों की तुलना दुनिया के सर्वश्रेष्ठ के साथ की जा सकती है। एओआरटीए के अंतर्गत सशस्त्र बलों में प्रत्यारोपण के लिए गुर्दे का पहला इंटर सिटी ट्रांसफर (हस्तांतरण) 24 मई 07 को किया गया था। इसमें सभी परिष्कृत चिकित्सा / शल्य चिकित्सा उपकरण उपलब्ध हैं। यूरीनरी स्टोन (मूत्रवर्धक पत्थर) वाले मरीजों के लिए लिथोट्रिप्सी की जाती है। एक्स सर्विस सदस्यों सहित सभी जो इसके एनटाइटल हैं, उन्हें गुर्दा प्रतिस्थापन उपचार की सुविधा प्रदान की जाती है। हेमोडायलिसिस पर किसी भी समय, कम से कम 30 रोगी और निरंतर एम्बुलेटरी पेरीटोनियल डायलिसिस पर 15 रोगी होते हैं। सभी नेफ्रोलोजी से संबंधित समस्याओं को एक छत के नीचे निपटाया जाता है।

गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी सेंटर-

गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी सेंटर में 10 जनवरी को फ़ुज़िनॉन से आर्ट एंडोस्कोपिक प्रणाली की व्यापक्ता, जिसमें बैंड इमेजिंग सुविधा है, इंस्टाल की गई है। यह अस्पताल के डायग्नोस्टीक और चिकित्सीय प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी है। इन सुविधाओं को इस टर्टरी अस्पताल में काफी बढ़ाया गया है।

न्यूक्लियर मेडिसन सेंटर-

1967 में आईएनएचएस असविनी में न्यूक्लियर मेडिसन सेंटर (परमाणु चिकित्सा केंद्र) की स्थापना होने से सेफ रेडियोधर्मी आइसोटोप की सहायता से विभिन्न अंगों / पूरे शरीर का स्कैन करने के बाद छिपे हुए कई रोगों का निदान करने में काफी मदद मिली है। स्ट्रेस थैलियम, थायराइड स्कैन, बोन स्कैन, रेनोग्राम, ब्रेन परफ्यूजन स्टडी जैसे टेस्ट प्रति-दिन किए जाते हैं।

न्यूरोलॉजी सेंटर-

न्यूरोलॉजी विभाग एक प्रभावशाली विभाग है जो रोगी प्रबंधन, इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिकल जांच, अनुसंधान और प्रशिक्षण में सक्रिय है। यह विभाग स्पैस्टिकिटी तथा मूवमेंट डिसआर्डर के लिए बोटोक्स थेरेपी कराता है। यह सामयिक स्ट्रोक प्रबंधन प्रोटोकॉल का और समन्वय करता है।

ओन्कोलॉजी सेंटर-

आईएनएचएस असविनी में ओन्कोलॉजी सेंटर की स्थापना कीमोथेरेपी, सर्जरी, और रेडियोथेरेपी सहित बहुविषयक कैंसर उपचार के उद्देश्य से की गई थी। यहां पर हर माह 500 से भी अधिक रोगियों का इलाज किया जाता है। इनमें से अधिकांश का इलाज डे केयर आधार पर होता है। स्टेम सेल को बचाने के साथ मोनोक्लोनल एंटीबॉडी और हाई डोज़ कीमोथेरेपी का उपयोग हाईली सेलेक्टिव टारगेटिड थेरेपी के साथ करना कुछ नवीनतम उपलब्धियां हैं। यह सेंटर स्टेम सेल प्रोसेसिंग (प्रसंस्करण) और लिक्वेड नाइट्रोजन आधारित बैंकिंग सुविधाओं के साथ एक एडवांस हेमेटोपोएटिक स्टेम सेल प्रत्यारोपण इकाई स्थापित कर रहा है जो ऑटोलॉगस, एलोजेनिक बोन मेरो (अस्थि मज्जा) और पेरीफेरल ब्लड हेमेटोपोएटिक स्टेम सेल प्रत्यारोपण की आवश्यकताओं का पूरा ध्यान रखेगा। आईएनएचएस असविनी में मेडिकल ओन्कोलॉजी और सर्जिकल ओन्कोलॉजी सर्विसेज के साथ रेडिएशन ओन्कोलॉजी सेंटर, कैंसर उपचार के लिए इस अस्पताल में उपलब्ध ऑन्कोलॉजी सेवाओं का ट्रियाड पूरा करता है। यह विभाग एचडीआर ब्रैचीथेरेपी यूनिट लोड करने के बाद लिनीयर एक्सलरेटर और रिमोट का प्रयोग कर कैंसर रोगियों को 3-डी कॉन्सफॉर्मल रेडियोथेरेपी (3-डी सीआरटी) प्रदान करता है। रेडियो डायगनोसिस विभाग में दोनों मशीनें सीटी स्कैनर और एमआरआई स्कैनर के साथ जुड़ी रहती हैं। इसमें एक पोर्टल इमेजिंग सिस्टम भी है जो मशीन द्वारा दिए गए एक्चूअल रेडिएशन ट्रीटमेंट क्षेत्रों की जांच के दौरान विभिन्न प्रकार के कैंसर के लिए 3-डी कंफोरमल रेडिएशन ट्रीटमेंट की मंजूरी देता है, जिससे ट्यूमर में रेडिएशन की हाईअर डोज़ रहती है और इससे नोरमल टिशूज़ की अधिक सुरक्षा की अनुमति मिलती है। । इस केंद्र में उपलब्ध ब्रैचीथेरेपी मशीन एक हाई डोज़ रेट मशीन है जो उपचार को घंटों के बजाय मिनटों में पूरा करती है। सर्जिकल ओन्कोलॉजी सेंटर सबसे एडवांस सर्जिकल तकनीकों का व्यापक उपयोग करता है। स्तन कैंसर रोगियों के लिए ब्रेस्ट कन्ज़रवेशन और हड्डी के कैंसर में लिम्ब कन्ज़रवेशन की पहुंच का अभ्यास कराया जाता है। ऑनकोपैथोलॉजी के साथ रेडियो डायग्नोसिस का एक सुसज्जित विभाग तथा विभिन्न सुपर स्पेशिएलिटीज़ जैसे न्यूरोससर्जरी, रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी तथा यूरोलोजी के एक ही छत के नीचे होने से असाध्यता प्रबंधन की दिशा में एक सही बहुआयामी दृष्टिकोण प्रदान करता है।

कार्डियो थोरैसिस और वैस्कुलर सर्जरी सेंटर-

भारत कोरोनरी धमनी रोग जैसी महामारी के बीच में है। कार्डियो थोरैसिस सर्जरी सेंटर विभाग को 2002 में स्थापित किया गया था। सेंटर में सभी प्रकार की हार्ट सर्जरी करने की सुविधा है। लगभग 50 ओपन हार्ट सर्जरी सहित लगभग 70-80 हार्ट सर्जरी हर साल की जाती है।

प्लास्टिक और रिकंस्ट्रकटिव सर्जरी सेंटर-

प्लास्टिक और रिकंस्ट्रकटिव सर्जरी सेंटर जलने, शल्य चिकित्सा, आकस्मिक और जन्मजात दोषों और कॉस्मेटिक सर्जरी का प्रबंधन करती है। आईएनएचएस अश्विनी के विभाग में हर तरह की सुविधा वाला बर्न्स यूनिट है। माइक्रो वैस्कुलर फ़्री फ्लाप के साथ-साथ रिकंस्ट्रकटिव फ्लैप का उपयोग अक्सर किया जाता है। कॉस्मेटिक सर्जिकल प्रक्रियाओं में लिपोसक्शन, राइनोप्लास्टी, ब्रेस्ट वृद्धि और हेयर ट्रांसप्लांट्स आदि शामिल हैं।

न्यूरोसर्जरी सेंटर-

अच्छी सुविधा वाले न्यूरोसर्जरी सेंटर में सभी प्रकार की रीढ़ की हड्डी और क्रेनियल प्रक्रियाएं होती हैं। सेंटर में सभी पोस्ट ऑपरेटिव मामलों के प्रबंधन के लिए अच्छी सुविधा वाला न्यूरोसर्जरी वार्ड है। हर साल लगभग 200 माइक्रो-न्यूरोसर्जिकल ऑपरेशन किए जाते हैं।

आर्थोपेडिक्स सेंटर-

पिछले दशक के दौरान दुनिया भर में कमर और घुटने का प्रतिस्थापन सबसे लोकप्रिय और प्रभावी सर्जरी रहा। बढ़ती जागरूकता, बेहतर सुविधा, बढ़ती उम्र, अनुमानित परिणाम और 98% से अधिक बेहतरीन 15 से 20 साल की सेवा के कारण जॉइंट रिप्लेसमेंट वाले मरीजों की संख्या बढ़ गई है। वैश्विक और राष्ट्रीय प्रवृत्तियों के अनुरूप, पिछले तीन वर्षों में जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी आईएनएचएस अश्विनी में तेजी से की जा रही है।

Orthopaedics Centre
Orthopaedics Centre

आर्थोपेडिक्स सेंटर

स्त्री रोग विभाग-

आर्थोपेडिक्स और स्त्री रोग विभाग अस्पताल में सबसे अधिक व्यस्त रहने वाले विभागों में से एक है। यहां हर साल लगभग 1300 डिलीवरी होती है। 470 एंडोस्कोपिक प्रक्रियाओं सहित लगभग 1000 सर्जिकल प्रक्रियाएं हर साल की जाती हैं। कृत्रिम प्रजनन तकनीक (एआरटी) सेंटर, इंविट्रो फर्टिलाइजेशन के लिए आधुनिक सुविधाओं वाली पूर्ण यूनिट है जिसे अस्पताल में जल्द ही कार्यान्वित किया जाएगा जो कि बिना बच्चे वाले दंपत्तियों के लिए वरदान होगा। विभाग 1982 से एमसीआई द्वारा मान्यता प्राप्त पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनिंग सेंटर है और एमडी और नेशनल बोर्ड सर्टिफिकेशन कार्यक्रम दोनों आयोजित करता है।

पेडियाट्रिक्स विभाग-

 

यह विभाग आश्रित रहने वाले लोगों के बीमार बच्चों और नवजात बच्चों को समग्र और व्यापक देखभाल प्रदान करती है। पीडियाट्रिक वार्ड में पीडियाट्रिक आईसीयू और मेडिकल और सर्जिकल स्थितियों के प्रबंधन की सुविधाएं हैं। यहां बेहतर सुविधा वाला एनआईसीयू है, जो बीमार बच्चों और नवजात शिशुओं की देख-रेख करता है। बीमार बच्चों को खुश और व्यस्त रखने के लिए कई सुविधाओं के साथ वार्ड बच्चों के लिए बेहद अनुकूल है।

ओप्थाल्मोलॉजी विभाग-

ओप्थाल्मोलॉजी विभाग की स्थापना 1976 में हुई थी। लाइसेंस प्राप्त आई बैंक भी इस सेंटर में है, जो नियमित रूप से कॉर्नियल ट्रांसप्लेंट सर्जरी (केराटोप्लास्टीज़) के जरिए कॉर्नियल ब्लाइंड व्यक्ति को दृष्टि प्रदान करता है। हर साल, इस सेंटर में 2000 से अधिक आंखों के ऑपरेशन किए जाते हैं। लगभग 200 रोगी प्रतिदिन आंखों की ओपीडी में जांच करवाने आते हैं। यह एमएस ओप्थाल्मोलॉजी के लिए पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनिंग सेंटर है।

ईएनटी विभाग-

आईएनएचएस अश्विनी में ईएनटी विभाग में अत्याधुनिक देखभाल और पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनिंग सुविधा है। विभाग कई दशकों से नौसेना के लिए चिकित्सा अनुसंधान का केंद्र रहा है। इस विभाग ने पोत पर होने वाली पीड़ा और व्यावसायिक रूप से सुनाई देने में कमी को ठीक करने में राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त की है। बहुत कम सुनाई देना बातों को जानने के लिए बहुत सारी समस्याएं पैदा करता है। जन्म लेने वाले बधिर बच्चे बातों को सुनने में सक्षम नहीं होंगे; अगर सुनने की उनकी शक्ति के लिए उन्हें लगभग 5-6 साल की उम्र से पहले सहायता नहीं दी जाती है। आईएनएचएस अश्विनी के बायोनिक इअर सेंटर में पीडियाट्रिक कोक्लेयर इम्प्लांट कार्यक्रम आयोजित किया गया है। विभाग कोक्लेयर इम्प्लांटेशन सर्जरी और पोस्ट ऑपरेटिव ऑडिटरी वर्बल थेरेपी (एवीटी) का इस्तेमाल करती है। कोक्लेयर इम्प्लांट सर्जरी का नतीजा बहुत उत्साहजनक रहा है। विभाग सिर और गले की सर्जरी करता है जिसमें ऑन्कोलॉजी, ट्रांस-ओरल लेजर सर्जरी, एंडोस्कोपिक साइनस सर्जरी-मूल और उन्नत दोनों, सभी प्रकार की कान सर्जरी और फ्लेक्सिबल एंडोस्कोपी और कम श्रवण शक्ति के लिए व्यापक प्रबंधन शामिल है।

त्वचाविज्ञान विभाग-

ईएनएचएस अश्विनी त्वचा विकारों के लिए पोस्ट ग्रेजुएट शोध और प्रशिक्षण संस्थान है। विभाग में कार्बन डाइऑक्साइड लेजर और पूर्ण फोटोथेरेपी यूनिट सहित सबसे बेहतर लाइन गैजेट की सुविधा है। त्वचा रोगों के इलाज के अलावा, विभिन्न कॉस्मेटिक प्रक्रियाएं भी की जाती हैं। इस विभाग में कई तरह की प्रक्रियाएं/सर्जरी की जा रही है जिसमें विटिलिगो सर्जरी, सक्शन ब्लिस्टर ग्राफ्टिंग, पंच ग्राफ्टिंग, केमिकल पील, माइक्रो-डर्माब्रेसन, स्कार रिविजन सर्जरी, CO2 लेजर के जरिए दोष/वृद्धि का उन्मूलन, रेडियोथेरेपी, इलेक्ट्रोकॉटरी और केमिकल कॉटरी शामिल है।

मनोचिकित्सा विभाग -

मनोचिकित्सा विभाग एक डायनामिक पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनिंग यूनिट है। यह पश्चिमी नौसेना कमान की नौसेना आबादी के साथ-साथ गैरीसन सेना, वायु सेना और पूर्व सेवा कर्मियों को व्यापक मनोवैज्ञानिक देखभाल प्रदान करती है। विभाग में इलेक्ट्रो कंसल्टिव मशीन, बायोफिडबैक मशीन, और साइकोमेट्रिक परीक्षणों की सुविधा है। इसमें एक व्यसन और पुनर्वास केंद्र है। विभाग समुदाय के स्कूल और सामाजिक संस्थानों के लिए विभिन्न आउटरीच कार्यक्रम आयोजित करता है और तनाव प्रबंधन और संचार कौशल से लेकर स्कूल प्रबंधन के लिए वैवाहिक परामर्श और मार्गदर्शन तक के विषयों पर वर्कशॉप आयोजित करता है। बच्चों में डिस्लेक्सिया और ध्यान विकार जैसी बिमारियों के लिए स्क्रीनिंग की सुविधा है जो विभाग के प्रदर्शन का हिस्सा हैं।

एनास्थेसियोलॉजी और क्रिटिकल केयर विभाग-

अत्याधुनिक ओटी में न्यूरोसर्जरी, ऑर्थोपेडिक्स, (जॉइंट रिप्लेसमेंट सहित), ईएनटी सर्जरी, कार्डियाक सर्जरी, पुनर्निर्माण सर्जरी (प्लास्टिक), ओप्थाल्मोलॉजी, ओन्कोसर्जरी, उरो-सर्जरी (गुर्दे प्रत्यारोपण सहित), बाल चिकित्सा सर्जरी, जीआई सर्जरी, मैक्सिलो-फेसिअल सर्जरी, स्त्री रोग सर्जरी और सामान्य सर्जरी की सुविधा है। हेयर ट्रांसप्लांट और अन्य त्वचाविज्ञान आदि जैसी विशेष प्रक्रियाएं भी अक्सर की जाती हैं। ओटी हर साल करीब 8000 मामलों को पूरा करता है। 23 बिस्तरों के साथ मेडिकल और सर्जिकल विषयों पर कार्य करने वाली यूनिट को एनेस्थेसिया विभाग से सहायता मिलती है। विभाग में आपदा और परिचालन परिदृश्यों में मोबाइल फील्ड अस्पतालों और मोबाइल सर्जिकल यूनिट को बनाने की क्षमता है और अक्सर यह काम किया जाता है। विभाग श्रीलंकाई नौसेना सहित सैन्य नर्सिंग सेवाओं और ऑपरेशन रूम तकनीशियनों के एनेस्थेसियोलॉजिस्ट, ओटी मैट्रॉन को प्रशिक्षित करता है। एनास्थेसियोलॉजिस्ट की भूमिका का विस्तार परिष्कृत वेंटिलेटर के उपलब्ध होने और उप-विशिष्टता के रूप में महत्वपूर्ण देखभाल के विकास के साथ हुआ है। आज के एनेस्थेसियोलॉजिस्ट गंभीर रूप से बीमार मरीजों की देखभाल में निकटता से जुड़े रहते हैं।

पैथोलॉजी विभाग -

पैथोलॉजी विभाग मोनोकुलर माइक्रोस्कोप, बन्सन बर्नर, फ्लेम फोटोमीटर, केमिकल पाउडर, रिएजेंट प्रिपरेशन और नमूने के मैन्युअल परीक्षण के लिए प्रसिद्द हुआ हुआ है। आज प्रयोगशाला सेवा पूरी तरह से स्वचालित और अत्यधिक परिष्कृत हेमेटोलॉजी, बायोकैमिस्ट्री, हिस्टोपैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, इम्यूनोहिस्टोकैमिस्ट्री और सेरोलॉजी अनुभागों के साथ काम करती है। विभाग प्रतिदिन लगभग 2200 से 2500 लोगों की जांच करती है। गुणवत्ता सख्त रूप से आंतरिक और बाहरी गुणवत्ता आश्वासन जांच द्वारा बनाए रखी जाती है। लाइसेंस प्राप्त ब्लड बैंक में रक्तचाप निर्माण सुविधा है, जिसमें एफेरेसिस भी शामिल है। घटकों में पैक किए गए रेड सेल, फ्रेश फ्रोज़ेन प्लाज्मा, यादृच्छिक/एकल डोनर प्लेटलेट और क्रियोप्रेसिटिट इत्यादि शामिल हैं। अत्यधिक संवेदनशील जेल सेंट्रीफ्यूगेशन तकनीक का उपयोग रेड सेल सीरोलॉजी के लिए किया जाता है। संक्रामक बीमारियों के लिए स्क्रीनिंग तीसरी और चौथी पीढ़ी एलिसा तकनीकों द्वारा की जाती है। विभाग मासिक क्लिनिको-पैथोलॉजिकल कोरिलेशन और हॉस्पिटल इन्फेक्शन कंट्रोल कमिटी/हॉस्पिटल ट्रांसफ्यूजन कमिटी मीटिंग भी आयोजित करती है। विभाग पैथोलॉजी में एमडी/डीएनबी के लिए एमसीआई से मान्यता प्राप्त है। प्रयोगशाला और ब्लड बैंक तकनीशियनों को भी यहां प्रशिक्षित किया जाता है। पैथोलॉजी विभाग अस्पताल के अस्पताल जैव चिकित्सा अपशिष्ट निपटान का समन्वय करता है। आईएनएचएस अश्विनी में शारीरिक और गंदे अपशिष्ट निपटान के लिए दो डीजल संचालित इनसिनेरेटर की सुविधा है। इसमें माइक्रोबायोलॉजिकल अपशिष्ट के कीटाणुशोधन और प्लास्टिक की कटाई के लिए माइक्रोवेव आटोक्लेव हैं।

रेडियोलॉजी विभाग -

रेडियोलॉजी विभाग इमेजिंग और पारंपरिक रेडियोलॉजी उपकरण से लैस है जो देश में नवीनतम और अत्याधुनिक सुविधाओं में से एक है। मल्टीस्लिस सीटी स्कैन को 2003 में स्थापित किया गया था जो प्रमुख चीजों में से एक है। अत्याधुनिक 1.5 टेस्ला एमआरआई इमेजिंग स्कैनर को 2004 स्थापित किया गया था जो क्लीनिकल अनुप्रयोगों की विस्तृत श्रृंखला के साथ सुविधा प्रदान करता है। बहुत सारी सुविधाओं वाला व्होल बॉडी कलर डोप्लर अल्ट्रासोनोग्राफी वैस्कुलर और अन्य विषयों के लिए उपलब्ध है। 3D/4D अल्ट्रासोनोग्राफी बहुआयामी वॉल्यूमेट्रिक इमेजिंग के लिए उपलब्ध है। 2002 में स्थापित डिजिटल सबट्रैकशन एंजियोग्राफी (डीएसए) मशीन का उपयोग वैस्कुलर और नन-वैस्कुलर निदान और चिकित्सीय प्रक्रियाओं के लिए किया जाता है। डिजिटल मैमोग्राफी सिस्टम 2008 में लगाया गया था, जिसमें स्क्रीनिंग, डायग्नोस्टिक मैमोग्राफी, ब्रेस्ट के घावों के जियोमेट्रिकल मैग्निफिकेशन, हाई रिज़ॉल्यूशन स्पॉट इमेजिंग, इमेज गाइडेड नीडल बायोप्सी, स्पेसिमेन रेडियोग्राफी और गैलेक्टोग्राफी की सुविधा है।

ऑडिटोरियम-

250 लोगों के बैठने की क्षमता के साथ-साथ पूरी तरह से एयर कंडीशन की सुविधा वाला अत्याधुनिक ऑडिटोरियम नए अस्पताल में उपलब्ध कराया गया है।

मैकेनिकल लाँड्री/अस्पताल किचन-

कपड़े धोने के लिए आधुनिक मशीन को भी लगाया गया है, पहले धोबियों द्वारा मैन्युअल धुलाई होती थी। बिखरे रहने वाली किचन के स्थान पर सभी आधुनिक सुविधा वाले सेंट्रल कम्पोजिट किचन की व्यवस्था की गई है जो रोगियों की विशेष आवश्यकताओं को पूरा करती है।

कम्प्यूटरीकरण-

हाल के वर्षों में सूचना प्रौद्योगिकी में हो रहे तेजी से बदलाव को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए नई परियोजना का उपयोग किया जा रहा है। ओपीडीएस, वार्ड और विभाग पहले ही जुड़े हुए हैं, जो सभी डॉक्टरों को मरीजों की ऑनलाइन डेटा प्रदान करते हैं। इंटरनेट कनेक्शन, मेडलर इत्यादि जैसी अन्य सुविधाएं भी दी जा रही हैं। ये सुविधाएं स्नातकोत्तर छात्रों और डॉक्टरों के लिए दवाओं के क्षेत्र में नवीनतम प्रगति के साथ आगे बढ़ने के लिए वरदान साबित होगी।

टेलिफ़ोन एक्सचेंज-

50 + 500 लाइनों को पूरा करने के लिए अस्पताल को आधुनिक नौसेना ईपीएबीएक्स प्रदान किया जा रहा है। यह आईएसडीएन स्विच के साथ समुदाय को बेहतर चिकित्सा सेवा प्रदान करने के लिए पूरी तरह से डिजिटल और 100% समय बचाने वाली प्रणाली है..

विरासती बिल्डिंग-

अस्पताल के विरासती बिल्डिंग की पहचान की जा चुकी है और इसे संरक्षित किया जा रहा है ताकि इनका उपयोग बेहतर तरीके से होना जारी रहे। यहां तक ​​कि प्राचीन बरगद के पेड़ों को भी विरासती स्थिति में रखा गया है। ये अस्पताल के इतिहास का हिस्सा हैं, जो हमारे वर्तमान में भी रहेंगे और इन्हें आने वाली पीढ़ियाँ भी देखेंगी। जबकि सभी रोगी देखभाल कार्यों को नए परिसर में स्थानांतरित कर दिया गया है, सभी प्रशासनिक और सहायता सेवाएं विरासती संरचनाओं से काम कर रही हैं।

एनएएसी द्वारा आधिकारिक मान्यता के लिए नौसेना चिकित्सा संस्थान का सेल्फ स्टडी रिपोर्ट - नवंबर 2016

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