निकासी अभियान- ऑपरेशन राहत
यमन में निकासी अभियान - ऑपरेशन राहत
06 अप्रैल, 15 को होदीदाह में अभियान
06 अप्रैल, 15 को आईएनएस मुंबई ने होदीदाह में प्रवेश किया और 11 विदेशी नागरिकों सहित 474 कर्मियों को सुरक्षित बाहर निकाला। बचाए गए लोगों को 7 अप्रैल, 15 को जिबूती में उतारा गया।
07 अप्रैल, 15 को होदीदाह में अभियान
आईएनएस तरकश ने एमवीएस कवरत्ती एवं कोरल्स का भारत से जिबूती तक मार्गरक्षण किया। 06 अप्रैल, 15 को तरकश को, होदीदाह के लिए दोबारा तैनात किया गया। जहाज ने 74 कर्मियों (20 विदेशी नागरिकों सहित) को सुरक्षित बाहर निकाला और 7 अप्रैल, 15 को उन्हें जिबूती में उतार दिया।
शरणार्थियों के लिए राहत सेवाएं
बचाए गए लोगों को जहाज में बैठाने से लेकर जिबूती तक की यात्रा के दौरान भोजन, पानी और आवास की सुविधा उपलब्ध कराई गई। महिलाओं एवं बच्चों को भोजनालय में शरण दिया गया, जबकि पुरुषों को ऊपरी डेक पर आश्रय प्रदान किया गया। इसके अलावा, कर्मियों को चिकित्सीय सेवाएं एवं आवश्यक दवाईयां प्रदान की गई। गर्भवती महिलाओं, हड्डी टूटने के दर्द से पीड़ित एक व्यक्ति (टिबिया और फाइबुला) तथा निर्जलीकरण की शिकार दो महिलाओं को सभी आवश्यक सहायता प्रदान की गई।
तरकश के आगमन की प्रतीक्षा कर रहे शरणार्थी
तरकश पर सवार होने के लिए पंक्तिबद्ध शरणार्थी
तरकश पर सवार होने के लिए पंक्तिबद्ध शरणार्थी
तरकश की टीम द्वारा सरल और संरचित तरीके लोगों को जहाज पर सवार करना
तरकश की टीम द्वारा सरल और संरचित तरीके लोगों को जहाज पर सवार करना
तरकश में सवार होते शरणार्थी
तरकश में सवार होते शरणार्थी
तरकश जहाज पर प्राथमिक चिकित्सा जाँच
तरकश जहाज पर भोजन ग्रहण करते शरणार्थी
यमन में उग्र गृहयुद्ध के कारण हजारों लोग और असहाय हो गए। सऊदी अरब और अन्य देशों द्वारा किए गए सैन्य हस्तक्षेप के कारण स्थिति और भी जटिल हो गई तथा पूरे देश में लगातार हवाई बमबारी का दौर शुरू हो गया। अल होदीदाह के अलावा देश के सभी हवाई अड्डे एवं बंदरगाह गृहयुद्ध की चपेट में थे और इस संघर्षरत देश में लोगों के आवागमन हेतु बहुत कम सुविधाएं बची थीं।
यमन में भारत के लगभग 4000 प्रवासी सभी क्षेत्रों में काम कर रहे हैं, और उनमें से कई लोग तो यहां रहकर दशकों से अपना जीवन निर्वाह कर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर लोग राजधानी सना और उसके आसपास के क्षेत्रों में रहते हैं, जहां हिंसा काफी भड़की है और यह क्षेत्र लगातार हमले की चपेट में है। इस देश के तेजी से बिगड़ते हालात को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने 30 मार्च, 15 को यमन से भारतीय नागरिकों को निकालने का आदेश दिया।
भारतीय नौसेना की ओर से सबसे पहले अपने नवीनतम अपतटीय गश्ती जहाज़ों में से एक, आईएनएस सुमित्रा के साथ बचाव कार्य प्रारंभ किया और, इस जहाज को अदन की खाड़ी में अपने संक्रियात्मक कार्यों से तत्काल हटाते हुए इधर रवाना किया गया। 31 मार्च, 15 को जहाज ने अदन के बंदरगाह में प्रवेश किया और 349 भारतीयों को सुरक्षित बाहर निकालते हुए जिबूती तक पहुंचाया। अदन में निकासी के दौरान, जहाज ने बमबारी और गोलीबारी की रिपोर्ट की और एक सामान्य उपद्रव, गड़बडी और अशांति की सूचना दी। जिबूती में, बचाए गए भारतीयों ने जनरल (सेवानिवृत्त) वी. के. सिंह, विदेश मामलों के राज्य मंत्री, से मुलाकात की, और फिर इन लोगों को भारतीय वायुसेना के सी-17 विमान द्वारा भारत पहुंचाया गया।
इस बीच, दो भारतीय यात्री जहाजों, एमवी कवरत्ती और एमवी कोरल्स, जो सामान्य रूप से कोच्चि और लक्षद्वीप के द्वीप समूहों के बीच चलते हैं, को कोच्चि से यमन के लिए रवाना किया गया। इन यात्री जहाजों का मार्गरक्षण करने एवं सुरक्षित तरीके से जिबूती पहुंचाने के लिए निर्देशित मिसाइल विध्वंसक आईएनएस मुंबई और निर्देशित मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस तरकश को भी एक साथ मुंबई से रवाना किया गया। ऐसा करना आवश्यक था, क्योंकि वर्ष 2008 के बाद से अदन की खाड़ी के इलाके में लूट-पाट की घटनाएं बढ़ गई थीं।
शरणार्थियों के पहले जत्थे को जिबूती में उतारने के बाद, 2 अप्रैल, 15 को आईएनएस सुमित्रा को तुरंत होदीदाह बंदरगाह भेजा गया, जहां से इस जहाज ने बंदरगाह के निकट हो रहे हवाई हमलों के बीच 317 अन्य लोगों (ज्यादातर भारतीय नागरिक) को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। शरणार्थियों के दूसरे जत्थे को 3 अप्रैल, 15 को जिबूती पहुंचाया गया।
इस बीच, देश में हो रहे गृहयुद्ध की लपट अदन की खाड़ी तक पहुंच गई जो निरंतर हो रही बमबारी और गोलीबारी में घिर गया। स्थानीय अधिकारियों द्वारा अदन के बंदरगाह में जहाजों को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही थी क्योंकि बंदरगाह शहर में भी संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। चूंकि 300 से ज्यादा भारतीय अदन से निकलने की प्रतीक्षा में थे, जिसे देखते हुए आइएनएस मुंबई को मार्गरक्षण के दायित्वों से मुक्त करते हुए अदन रवाना किया गया और यह जहाज 4 अप्रैल, 15 को सुबह-सुबह अदन पहुंच गया, जबकि दूसरी ओर आईएनएस तरकश द्वारा यात्री जहाजों का मार्गरक्षण करना जारी रखा गया, जो 5 अप्रैल, 15 की दोपहर को जिबूती पहुंच गया। पूरी तालमेल के साथ चलाए गए इस अभियान के माध्यम से विदेशी नागरिकों, महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों सहित 441 लोगों को नौकाओं के जरिए अदन बंदरगाह से आईएनएस मुंबई तक पहुंचाया गया, जो शरणार्थियों के यात्रा में लगने वाले समय को कम करने के लिए तट के समीप खड़ा था। 5 अप्रैल, 15 की सुबह सभी शरणार्थियों को सुरक्षित तरीके से जिबूती पहुंचाया गया। यह निकासी विशेष रूप से महत्वपूर्ण थी, क्योंकि अगले दिन बंदरगाह में भारी गोलाबारी हुई थी और बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे।
05 अप्रैल, 15 को सुमित्रा ने अल मुकाल्ला के समीप ऐश शिहर से अपना तीसरा निकासी अभियान प्रारंभ किया। जहाज ने 203 कर्मियों को सुरक्षित बाहर निकाला और जिबूती पहुंचाया। इसी बीच 5 अप्रैल, 15 की शाम को आईएनएस मुंबई जिबूती से रवाना हुआ और 6 अप्रैल, 15 को होदीदाह बंदरगाह पहुंचा, जहां से बड़ी संख्या में भारतीय नागरिकों को बाहर निकालने की योजना बनाई गई।
भारतीय नौसेना के तीनों जहाजों को क्रमबद्ध तरीके से यमन के विभिन्न बंदरगाहों से कम-से-कम समय में अधिकाधिक भारतीय नागरिकों को बाहर निकालने के लिए तैनात किया गया। भारतीय नौसेना ने अपनी सर्वोत्तम परंपरा एवं कार्यशैली का प्रदर्शन किया तथा इस अभियान में शामिल नौसेना के कर्मचारियों ने शरणार्थियों की सुविधा और आराम को प्रमुखता दी, उन्हें अपने साथ रहने के लिए जगह दी, गर्म भोजन के अलावा चिकित्सकीय सहायता प्रदान की एवं जिबूती पहुंचने तक बुजुर्गों की सहायता की ओर उनकी सुविधा को सुनिश्चित किया।
यमन में मौजूदा हालात को ध्यान में रखते हुए, इस बेहद खतरनाक और संवेदनशील मिशन में कार्यरत भारतीय नौसेना के सभी जहाज पूरी तरह मुस्तैद हैं और किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए तैयार हैं। दरअसल, भारतीय नौसेना प्रमुख की ओर से यह निर्देश दिया गया है कि, अंतिम भारतीय नागरिक को सुरक्षित तरीके से बाहर निकाले जाने तक भारतीय जहाज इस क्षेत्र में मौजूद रहेंगे।
ऑपरेशन राहत के कूटनाम से संचालित भारतीय नौसेना का यह अभियान कई दिनों तक जारी रहा। पश्चिमी नौसेना कमान के संक्रियात्मक नियंत्रण के तहत इस अभियान का संचालन किया गया, जिसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है। अभूतपूर्व तालमेल का प्रदर्शन करते हुए विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय एवं भारतीय नौसेना ने साथ मिलकर काम किया तथा उपग्रह संचार प्रणाली के माध्यम से जहाजों के साथ वास्तविक समय की जानकारी का आदान-प्रदान किया गया।