शौर्य चक्र

Shaurya Chakra

प्राधिकार

दिनांक 27 जनवरी, 67 की राष्ट्रपति सचिवालय अधिसूचना सं. 30-Pres/67.

पात्रता की शर्तें

युद्ध के मैदान में दुश्मन का सामना करते हुए वीरता का प्रदर्शन करने के लिए सम्मानित किया जाता है। यह सम्मान मरणोपरांत भी दिया जा सकता है।

अगर इस चक्र को प्राप्त करने वाला कोई भी योद्धा इस प्रकार के वीरतापूर्ण कार्य का दोबारा प्रदर्शन करे, जिसे देखते हुए उसे पुनः इस सम्मान के योग्य समझा जाए तो उनकी वीरता के सम्मान स्वरूप चक्र के रिबन में एक पट्टी संलग्न की जाएगी, साथ ही बहादुरी के ऐसे प्रत्येक अतिरिक्त कृत्य के लिए उनके चक्र के साथ एक अतिरिक्त पट्टी जोड़ी जाएगी। इस प्रकार के एक या अधिक पट्टी के साथ उस वीर को मरणोपरांत भी सम्मानित किया जा सकता है। इस प्रकार की प्रत्येक पट्टी 'चक्र' की लघु प्रतिकृति के तौर पर सम्मान स्वरूप दी जाती है, जिसे रिबन में जोड़ा जाएगा।

पात्रों की श्रेणियाँ

सेना, नौसेना, वायुसेना के साथ-साथ रिज़र्व बल, प्रादेशिक सेना, रक्षक योद्धा अथवा विधि दवारा स्थापित किसी भी सशस्त्र बल के सभी रैंकों के पुरुष या महिला सैनिक व अधिकारी। सशस्त्र सैन्य बलों में नर्सिंग सेवा से जुड़े सदस्य।

पुलिस बल और मान्यता प्राप्त अग्निशमन सेवाओं के सदस्यों के अलावा जीवन के सभी क्षेत्रों के पुरुष या महिला।

मौद्रिक भत्ता: 3000/- रुपये प्रतिमाह, तथा सम्मान स्वरूप दिए गए प्रत्येक पट्टी प्राप्तकर्ताओं के लिए 3000/- रुपये प्रतिमाह।

पदक और रिबन की बनावट

पदक काँसे से निर्मित यह पदक गोलाकार होता है जिसका व्यास 1.38 इंच होता है। इसके बाह्य सिरे के समानांतर, भीतर की तरफ, कमल के पत्तों, फूलों और कलियों का एक पैटर्न बना होता है। पदक के बाह्य सिरे तथा अशोक चक्र के साथ-साथ इसकी तीलियों एवं धुरी की पॉलिश की जाती है, जबकि धुंधली पृष्ठभूमि बनाने के लिए शेष सतह को छाया-युक्त रखा जाता है। पदक के अग्रभाग पर केंद्र में अशोक चक्र की प्रतिकृति उत्कीर्ण होती है, जिसके चारों ओर कमल की माला बनी होती है। इसके पृष्ठभाग पर हिंदी एवं अंग्रेजी भाषाओं में "शौर्य चक्र" उत्कीर्ण होता है, जिसके बीच में दो कमल के फूल बने होते हैं।

रिबन हरे रंग का रिबन तीन खड़ी रेखाओं द्वारा चार बराबर भागों में विभाजित होता है।

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