सीकिंग
आईएनएएस 336 – फ्लैमिंग एरो
यह पनडुब्बी इसकी स्थापना से ही समुद्री संग्राम को अंतिम परिणीति तक पहुंचाने वाले सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक बनी हुई है। इस बात को ध्यान में रखते हुए नौसेना मुख्यालय ने एक नये पनडुब्बी रोधी युद्ध (एसएसडब्ल्यू) स्क्वाड्रन के गठन करने का आदेश दिया। 20 दिसंबर, 1974 को आईएनएस गरूड़ में आईएनएस 336 का कमीशन किया गया। पहले स्क्वाड्रन कमांडर, कमांडर डीके यादव ने कमीशन करने का वारंट पढ़ा। यह स्क्वाड्रन शुरू में आईएनएस विक्रांत के लिए अतिरिक्त स्क्वाड्रन की तरह था एवं इसे सी किंग क्रू की तरह के प्रशिक्षण के काम भी सौंपे गये थे। बाद में सी किंग पर पायलटों एवं प्रेक्षकों का रूपांतरण प्रशिक्षण, स्क्वाड्रन का प्रमुख कार्य बन गया जिसे यह स्क्वाड्रन पूरी क्षमता व तत्परता से कर रहा है। कमीशन होने के बाद की एक चौथाई से अधिक सदी में प्रतिष्ठित ‘फ्लैमिंग एरो’ से कई उदीयमान नौसेना एविएटर व अनुभवी 'रोटर हेड' ने अग्रिम पंक्ति के एएसडब्ल्यू/एएसवी एवं मरीन कमांडो हेलीकॉप्टर एयक्रू बनने का प्रशिक्षण प्राप्त किया है।