परम वीर चक्र

Param Vir Chakra

प्राधिकार

दिनांक 26 जनवरी, 1950 की राष्ट्रपति सचिवालय अधिसूचना सं.1-Pers./50.

पात्रता की शर्तें

यह सम्मान ऐसे वीर योद्धाओं को दिया जाता है जो दुश्मन की उपस्थिति में जमीन पर, समुद्र में या हवा में अति विशिष्ट बहादुरी का प्रदर्शन करते हैं या दिलेरी दिखाते हैं अथवा उच्च कोटि के साहसिक कार्य को अंजाम देते हैं या आत्मबलिदान करते हैं। यह सम्मान मरणोपरांत भी दिया जा सकता है।

अगर इस चक्र को प्राप्त करने वाला कोई भी वीर (पुरुष या महिला) दोबारा बहादुरी के ऐसे कृत्य का प्रदर्शन करे, जिसे देखते हुए उसे एक बार फिर इस सम्मान के योग्य समझा जाए तो चक्र के रिबन में एक पट्टी को संलग्न किया जाएगा, साथ ही बहादुरी के ऐसे प्रत्येक अतिरिक्त कृत्य के लिए उनके चक्र के साथ एक अतिरिक्त पट्टी जोड़ दी जाएगी। इस प्रकार के एक या एकाधिक पट्टी के साथ उस वीर को मरणोपरांत भी सम्मानित किया जा सकता है। 'चक्र' की लघु प्रतिकृति के तौर पर सम्मान स्वरूप दी गई पट्टी को रिबन में जोड़ा जाएगा।

पात्रों की श्रेणियाँ

सेना, नौसेना, वायुसेना के साथ-साथ रिज़र्व बल, प्रादेशिक नागरिक सेना, अथवा विधि दवारा स्थापित किसी भी सशस्त्र बल के सभी रैंकों के पुरुष या महिला सैनिक व अधिकारी।

उपर्युक्त सैन्य बलों के आदेश, निर्देश या पर्यवेक्षण के अधीन नियमित रूप से अथवा अस्थायी तौर पर काम करने वाले पुरुष या महिला नागरिक तथा अस्पतालों एवं नर्सिंग से संबंधित मैट्रन, सिस्टर, नर्स और नर्सिंग व अन्य सेवाओं से जुड़े कर्मचारी।

मौद्रिक भत्ता: 10,000/- रुपये प्रतिमाह, तथा सम्मान स्वरूप दिए गए प्रत्येक पट्टी प्राप्तकर्ताओं के लिए 10,000/- रुपये प्रतिमाह।

पदक और रिबन की बनावट

पदक और रिबन की बनावट काँसे से निर्मित यह पदक गोलाकार होता है जिसका व्यास 1.38 इंच होता है, जिसके अग्र-भाग में इंद्र के वज्र की चार प्रतिकृतियां और केंद्र में राज्य-चिह्न (आदर्श वाक्य सहित) उत्कीर्ण होता है। इसके पृष्ठभाग पर हिंदी एवं अंग्रेजी भाषाओं में परम वीर चक्र लिखा होता है, जिसके बीच में दो कमल के फूल बने होते हैं। इसके ऊपरी हिस्से पर छल्ला बना होता है। रिबन रिबन सामान्य बैंगनी रंग का होता है।

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