पराक्रम पदक
प्राधिकार
राष्ट्रपति सचिवालय अधिसूचना संख्या 5-Pres/73 दिनांक 17 जनवरी, 73, संख्या 84-Pres/ 83 दिनांक 18 नवंबर 1983, तथा *संख्या 107-Pres/2000f दिनांक 28 अगस्त, 2000/
पात्रता की शर्तें एवं पात्रों की श्रेणियाँ
इस पदक से निम्नलिखित श्रेणियों के कर्मियों को सम्मानित किया जाता है, जो विप्लव का सामना करने के लिए संचालित किसी भी प्रकार के ऑपरेशन के दौरान शत्रु की प्रत्यक्ष कार्रवाई के परिणामस्वरूप आहत हुए/आहत होते हैं। यह 15 अगस्त, 1947 से प्रभावी होगा।
- सेना, नौसेना, वायुसेना के साथ-साथ रिज़र्व बल, प्रादेशिक सेना, जम्मू-कश्मीर के रक्षक योद्धा और संघ के किसी भी अन्य सशस्त्र बलों के सभी रैंकों के पुरुष या महिला सैनिक व अधिकारी;
- रेलवे सुरक्षा बल, पुलिस बल, गृह रक्षा वाहिनी, नागरिक रक्षा संगठन और सरकार द्वारा निर्दिष्ट किसी भी अन्य संगठन के सभी रैंकों के पुरुष या महिला सैनिक व अधिकारी।
ध्यान दें - शत्रु की कार्यवाही द्वारा क्षतिग्रस्त किए गए किसी विमान के निष्कासन कर्मीदल के सदस्यों सहित नौसेना के कर्मीदल के सदस्य, जो अन्यथा घायल नहीं हो सकते हैं, विमान का परित्याग करते समय अथवा क्षतिग्रस्त होने के बाद विमान को जमीन पर उतारने के दौरान किसी भी प्रकार से आहत होते हैं, तो वे भी इस सम्मान के लिए अधिकृत होंगे। यह सम्मान मरणोपरांत नहीं दिया जाएगा।
पदक के लिए पट्टी अगर पराक्रम पदक का कोई भी प्राप्तकर्ता 15 अगस्त, 1947 या उसके बाद किसी भी प्रकार के सैन्य अभियान अथवा विप्लव का सामना करने के लिए संचालित अभियान के दौरान शत्रु की प्रत्यक्ष कार्रवाई के परिणामस्वरूप आहत हुआ/आहत होता है, जिसके लिए उसे पराक्रम पदक के रिबन हेतु योग्य समझा जाए, तो इस प्रकार के प्रत्येक कार्य के लिए उनके पदक के साथ एक अतिरिक्त पट्टी जोड़ दी जाएगी।
पदक और रिबन की बनावट
पदक ताम्र-निकल से निर्मित इस गोलाकार पदक का व्यास 35 मिमी होता है, जो एक छल्ले में सुसज्जित होता है। इसके अग्रभाग पर आदर्श वाक्य सहित राजकीय-चिह्न तथा इसके दोनों ओर पदक के बाहरी किनारे पर "पराक्रम पदक" उत्कीर्ण होता है। पदक के पृष्ठभाग पर केंद्र में अशोक चक्र की प्रतिकृति उत्कीर्ण होती है।
रिबन 32 मिमी की चौड़ाई का रेशमी रिबन सफेद, लाल और सफेद रंग के बराबर भागों में विभाजित होता है। सफेद, लाल और सफेद रंग भी तीन बराबर भागों में विभाजित होता है।