ओपी पराक्रम पदक

Op Parakram Medal

प्राधिकार

संख्या 16-Pres/2005 – माननीय राष्ट्रपति की ओर से अपार हर्ष के साथ वर्ष ‘2001 में ऑपरेशन पराक्रम' में सशस्त्र सेना के जवानों एवं नागरिकों की सेवाओं के सम्मान स्वरूप इस पदक की शुरुआत की गई; और इस संबंध में निम्नलिखित अध्यादेश को तैयार, विहित एवं स्थापित किया गया

सर्वप्रथम: इस पदक को "ऑपरेशन पराक्रम मेडल" के तौर पर नामित एवं निर्दिष्ट किया जाएगा (इसके बाद इसे पदक के रूप में संदर्भित किया गया है)

दूसरी बात: ताम्र-निकल से निर्मित इस गोलाकार पदक का व्यास 35 मिमी होता है, जो मानक प्रतिमान के अलंकरणों के साथ एक सपाट क्षैतिज पट्टी में सुसज्जित होता है। इस पर भारत का मानचित्र बना होता है और बाहरी सिरे पर हिंदी एवं अंग्रेजी में ‘ऑपरेशन पराक्रम’ उत्कीर्ण होता है। इसके पृष्ठभाग पर राजकीय चिह्न उत्कीर्ण होता है। पदक के सुस्थिर प्रतिमान को जमा और सुरक्षित रखा जाएगा।

तीसरी बात: इस पदक को सीने पर बाईं ओर रेशमी रिबन की मदद से धारण किया जाएगा, जिसकी चौड़ाई 32 मिमी होती है। बाईं ओर से दाईं ओर यह रिबन नीले, ऑलिव ग्रीन और बलुआ रंग के तीन बराबर भागों में विभाजित होता है। नीले और ऑलिव ग्रीन वाले भागों को 2 मिमी की चौड़ाई की सफेद पट्टी द्वारा पृथक किया जाता है। ऑलिव ग्रीन और बलुआ रंग वाले भागों को 2 मिमी की चौड़ाई की लाल पट्टी द्वारा पृथक किया जाता है।

चौथी बात: निम्नलिखित सैन्यबलों के कर्मियों को इस पदक से सम्मानित किया जाएगा।

  • सेना, नौसेना और वायु सेना में प्रभावी कार्यभार संभालने वाले सभी वर्गों के सैन्यकर्मियों को इस पदक से सम्मानित किया गया, जो ऑपरेशन पराक्रम में सहायता के लिए विभिन्न मुख्यालयों में संक्रिया की योजना बनाने एवं इसके संचालन हेतु संगठित/तैनात/शामिल थे।
  • अर्धसैनिक बल, केंद्रीय पुलिस बल, रेलवे सुरक्षा बल, नागरिक रक्षा कर्मी, राज्य पुलिस कर्मी, गृह रक्षा वाहिनी, नागरिक कर्मी, और सरकार द्वारा निर्दिष्ट किसी भी अन्य संगठन के सभी रैंकों के कर्मी, जो सेना के परिचालन नियंत्रण के तहत संक्रियात्मक क्षेत्रों में तैनात थे अथवा सरकार द्वारा निर्दिष्ट किए गए क्षेत्रों में तैनात ऐसे संगठन का कोई भी अन्य कर्मी, जिसने ऑपरेशन के कार्यान्वयन, समन्वय और संचालन, आदि में सहायता प्रदान की।
  • तटरक्षक बल में प्रभावी कार्यभार संभालने वाले सभी कर्मी, जो संक्रियात्मक रूप से समुद्र में तैनात थे अथवा विभिन्न मुख्यालयों में परिचालन हेतु योजना निर्माण में शामिल थे।
  • संक्रियात्मक क्षेत्रों में उपर्युक्त बलों के आदेश/दिशानिर्देशों/पर्यवेक्षण के अधीन नियमित रूप से या अस्थायी रूप से काम करने वाले सभी नागरिक।
  • स्थानीय नौसेना की रक्षा, युद्ध पर्यवेक्षण संगठन, नौ-परिवहन और अवलोकन सेवाओं के नौसेना नियंत्रण के लिए तैनात किये गए नागरिक।

पाँचवीं बात: इस पदक के प्रयोजन के लिए अर्हक क्षेत्र निम्नानुसार होंगे

नौसेना

जहाजों, पनडुब्बियों, विमान, तटीय आयुध भंडार एवं तटरक्षक बल, युद्ध पर्यवेक्षण, नौवहन नौसेना नियंत्रण, और अवलोकन सेवाओं के सभी कर्मी सहित तटरक्षक इकाइयां, जिन्हें अंडमान सागर सहित हिंद महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में समुद्र में तैनात किया गया और ऑपरेशन पराक्रम की संक्रियात्मक गतिविधियों में भाग लिया।

इसमें नौसेना मुख्यालय, कमान मुख्यालय के तट पर सेवारत सभी कर्मी, महाराष्ट्र क्षेत्र के फ्लैग ऑफिसर और गोवा क्षेत्र मुख्यालय के फ्लैग ऑफिसर, नौसेना कर्मी प्रभारी अधिकारी शामिल हैं, जो वास्तव में ऑपरेशन पराक्रम के संचालन, रसद व्यवस्था एवं प्रशासनिक योजना निर्माण में संलग्न थे।

छठी बात: पात्रता की अवधि

  • अर्हक क्षेत्र में कुल 180 दिनों की सेवा प्रदान करने वाला व्यक्ति। पदक के लिए अर्हक अवधि में किसी अन्य पदक की गणना शामिल नहीं होगी, जिसे उस क्षेत्र के लिए समान सेवाकाल हेतु स्थापित किया गया हो।
  • सेना उड्डयन दल, नौसेना विमानन स्क्वॉड्रन्स, वायु सेना के हवाई दल, एयर डिस्पैच इकाइयों के निष्कासन दल के सभी कर्मी तथा एयर मेंटेनेंस बटालियन/तटरक्षक वायु दस्ते में प्रभावी कार्यभार संभालने वाले सभी कर्मी, जिन्होंने कम से कम पांच संक्रियात्मक सॉर्टी को पूरा किया या अर्हक क्षेत्र में/के ऊपर बीस घंटों की उड़ान भरी हो।
  • किसी प्रकार की समय सीमा को नजरअंदाज करते हुए, ऑपरेशन पराक्रम के दौरान वीरता श्रृंखला के सभी पुरस्कार प्राप्तकर्ता, या अर्हक क्षेत्र में सेवा के दौरान वीरगति को प्राप्त करने वाले सैन्यकर्मी अथवा गंभीर रूप से घायल या विकलांगता की स्थिति में जीवित बचाए गए सैन्यकर्मी, किसी समय सीमा या संक्रियात्मक सॉर्टी अथवा उड़ानों की संख्या को नजरअंदाज करते हुए इस पदक के पात्र होंगे।
  • भारतीय नौसेना के संक्रियात्मक नियंत्रण के अधीन नौसेना, तटरक्षक बल, व्यापारिक जहाजों एवं नौकाओं पर तैनात नौसेना/तटरक्षक बल के सभी कर्मी, जिन्होंने अर्हक क्षेत्र में कुल मिलाकर 180 दिनों की सेवा पूरी की है अथवा पांच सशस्त्र गश्ती सॉर्टी पूरा किया है।

सातवीं बात: किसी भी व्यक्ति के लिए पदक के पुरस्कार को रद्द करने और निरस्त करने तथा बाद में इसे पुनः प्रारंभ करने का अधिकार माननीय राष्ट्रपति के पास है।

आठवीं बात: इन अध्यादेशों को लागू करने के लिए सरकार द्वारा आवश्यक निर्देश दिए जा सकते हैं।

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