मिग 29के

आईएनएएस 303 - ब्लैक पैंथर्स

आईएनएएस 303 - ब्लैक पैंथर्स

भारतीय नौसेना ने 16 मिग 29 के/केयूबी वाहक लड़ाकू वायुयान अर्जित करने के लिए 20 जनवरी 2004 को आरएसी मिग के साथ अनुबंध किया। दिसंबर, 2009 से वायुयानों की सुपुर्दगी शुरू हुई एवं भारतीय नौसेना को मुख्‍य अनुबंध के सभी 16 वायुयानों की सुपुर्दगी दी गयी जिसे भारतीय नौसेना ने स्‍वीकार कर लिया है। 08 मार्च 2010 को 29 अतिरिक्त वायुयानों के लिए एक वैकल्पिक अनुबंध खंड पर भी हस्ताक्षर किए गए। अनुबंध के वैकल्पिक खंड में उल्ल्‍िखित इन वायुयानों की सुपुर्दगी संबंधी कार्रवाई जारी है एवं वैकल्पिक खंड में उल्ल्‍िखित अंतिम वायुयान की सुपुर्दगी 2016 के अंत तक की जानी है। व्‍यापक अनुभव के आधार पर, पहले मिग-29के फ्रंटलाइन स्क्वाड्रन को 11 मई, 2013 को आईएनएस हंस, गोवा में कमीशन किया गया। इस स्क्वाड्रन के सबसे पहले कमांडिंग ऑफिसर कैप्टन एडी थियोफिलस थे।

कमिशनिंग समारोह पर प्रेस विज्ञप्ति::-

INAS 303 - The Black Panthers

रक्षा मंत्री एके एंटनी ने गोवा में आईएनएस हंस पर भारतीय नौसेना के पहले मिग 29के स्क्वाड्रन, भारतीय नौसेना वायु स्क्वाड्रन (आईएनएएस) 303 को कमीशन किया।

गोवा में आईएनएस हंस पर दिनांक 11 मई, 2013 को भारतीय नौसेना के पहले मिग 29के स्क्वाड्रन, भारतीय नौसेना वायु स्क्वाड्रन (आईएनएएस) 303 के कमीशन करते हुए रक्षामंत्री, श्री एके एंटनी ने कहा कि उन्‍हें पूरा भरोसा है कि यह स्क्वाड्रन हमारे ऑपरेशन के क्षेत्रों में शांति व स्‍थायित्‍व बढ़ाने में अभूतभूर्व योगदान देगा। उन्‍होंने कहा यह राष्ट्र एवं हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) के अन्य मित्र राष्ट्रों के निर्वाध आर्थिक विकास के लिए प्रभावी सुरक्षा उपाय भी प्रदान करेगा। यह स्क्वाड्रन बहुत जल्‍दी आईएनएस विक्रमादित्‍य से प्रचालन करेगा।

श्री एके एंटनी ने इस क्षेत्र में सुरक्षा परिदृश्य में तेजी से आ रहे बदलावों को देखते हुए रक्षा तैयारियों में अपने शत्रुओं पर भारत के वर्चस्‍व को बढ़त बनाए रखने के महत्व पर भी जोर दिया जो प्रौद्योगिकी संबंधी जानकारी प्राप्‍त करते हुए एवं कर्मचारियों को बेहतर प्रशिक्षण देकर बेहतर ढंग से हासिल किया जा सकेगा।

मिग 29के पूरी तरह से ‘टू स्विंग रोल’ वायुयान है जो समुद्र पर तैनात कमांडर को अधिक लचीलापन प्रदान करते हुए हवाई क्षेत्र में प्रभुत्‍व औश्र शक्ति प्रदर्शन मिशनों को एक साथ पूरा करने के लिए पर्याप्‍त प्रहार क्षमता उपलब्‍ध करवाता है। यह भारतीय नौसेना विमानन को रक्षात्‍मक रुख के स्‍थान पर अपना प्रभुत्‍व कायम करने की ओर ले जाता है। मिग 29के वायुयान अत्‍याधुनिक, सभी मौसमों के अनुकूल, हवाई प्रभुत्‍व वाला लड़ाकू वायुयान है जसका निर्माण विशेषतौर पर भारतीय नौसेना के लिए किया गया है। इस वायुयान की अधिकतम गति ध्‍वनि की गति से दुगनी (लगभग 2000 किमी/घंटा) है एवं इसकी गति गुरुत्‍वाकर्षण बल से 8 गुना तक भी हो सकती है। यह वायुयान 6500 फुट से अधिक की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। दुनिया के सबसे उन्‍नत हथियारों वाले शस्‍त्रागार से लैस यह वायुयान वायु, समुद्र या थल पर अपना वर्चस्‍व कायम रखते हुए लक्ष्‍य साधने में पूरी तरह से सुसज्जित है। आयुध की अपनी रेंज से सुसज्जित एवं डाटा लिंक क्षमताओं सहित यह वायुयान नवीनतम वैमानिकी की वास्‍तविक शक्ति प्रदर्शन में सक्षम है। हवा से हवा में ईंधन भरने की इसकी क्षमता के साथ इसकी रेंज वास्‍तविक शक्ति प्रदर्शन करने एवं वायु में अपना वर्चस्‍व बनाए रखने की भूमिका भी निभाती है।

यह ध्‍यान देने योग्‍य है कि मिग 29के सुपरसोनिक लड़ाकू वायुयान का कमीशन 19 फरवरी, 2010 को श्री एंटोनी ने किया था। इन शक्तिशाली वायुयानों में से सोलह को मुख्य युद्धक शक्ति के रूप में शामिल किया गया था जिन्‍हें जल्द ही शामिल किए जाने वाले वायुयान वाहक, विक्रमादित्य में शामिल किया जाना है। इसे शामिल किए जाने के बाद से ये वायुयान 2500 से अधिक घंटे तक हवा में उड़ान भर चुके हैं एवं हवा से सतह में मिसाइल, हवा से हवा में मिसाइल, बम, रॉकेट एवं बंदूक सहित आयुध की पूरी रेंज की युद्ध सामग्री का परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा कर चुके हैं। परीक्षणों में अपनी क्षमता सिद्ध करने के पश्‍चात इस वायुयान ने भारतीय नौसेना एवं भारतीय वायु सेना के साथ महत्वपूर्ण थियेटर अभ्यास में भी हिस्‍सा लिया। सौंपे गये सभी कार्यों व परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा करने एवं इसकी युद्धक क्षमता स्‍थापित होने के पश्‍चात मिग -29के स्क्वाड्रन को अब भारतीय नौसेना की ‘स्‍वोर्ड आर्म’ के तौर पर फ्रंटलाइन सर्विस में शामिल कर लिया गया है।

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मिग 29के वायुयान आईएनएस हंस से उड़ान भरने की तैयारी करते हुए

300 सिरीज में अपनी लड़ाकू स्‍क्‍वाड्रन के नामकरण की पंरपरा में मिग 29के स्क्वाड्रन को आईएनएस 303 नाम दिया गया है जो ‘ब्‍लैक पैं‍थर्स के नाम से अधिक लोकप्रिय है। 303 संख्‍या क्रांतिकारी .303 राइफल कारतूस से ली गई है जो अपने समकक्ष स्‍तर के बुलेटों की अपेक्षा बैलिस्टिक का काम भी करता था जिसे 19वीं शताब्दी के मध्‍य में पारंपरिक लीवर-एक्शन कारतूस के स्‍थान पर प्‍वाइंटेड-टिप बुलेट्स प्रयोग में लाई गई। इसकी अत्‍याधुनिक तकनीक गोली अपेक्षाकृत तीव्र गति व अधिक सटीकता से चलाने तथा इसके पहले के वायुयानों की तुलना में अधिक नुकसान पहुंचाने वाली है, इस प्रकार यह एक नया मानक बन रहा है जिस पर दुनिया की भावी बंदूकों का निर्माण किया गया था। इस राइफल की उपरोक्‍त उल्लिखित विशेषता की तरह संख्‍या 303 को मिग 29के स्क्वाड्रन को प्रदर्शित करने के लिए चुना गया है। जिस प्रकार राइफल ने राइफल फायरिंग की अवधारणाओं में आमूलचूल परिवर्तन किया ठीक उसी तरह ब्‍लैक पैंथर स्क्वाड्रन को शामिल करने से भारतीय नौसेना में हवा में लड़ाकू वायुयानों के नए युग की शुरूआत की है। इस प्रकार इस स्क्वाड्रन को ‘गैम चेंजर’ भी कहा जाता है। स्क्वाड्रन के प्रतीक चिन्ह में आसमानी पृष्‍ठभूमि में समुद्र की लहरों पर यह अक्रामक अनूठा ब्लैक पैंथर दर्शाया गया है।

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रक्षा मंत्री एके एंटनी अत्‍याधुनिक तकनीक वाले सिम्‍युलेटर मिग 29के की 25 मिनट की उड़ान भरते हुए

रक्षा मंत्री ने अत्‍याधुनिक तकनीक वाले पूर्ण मिशन सिम्‍युलेटर का भी उद्घाटन किया। केट डी फ्लाइट सिम्युलेटर के समान यह कैरियर टेकऑफ व कैरियर लैंडिंग, युद्धक मिशनों एवं हवा से हवा में ईंधन भरने की क्षमता सहित वायुयान की संपूर्ण क्षमताओं सहित पायलट प्रशिक्षण देने में सक्षम है। यह सिम्‍युलेटर एयरक्रू के लिए फोर्स मल्‍टीप्‍लायर के तौर पर कार्य करेगा। 25 मिनट की उड़ान भरने के बाद श्री एंटनी सिम्युलेटर की 3-डी प्रभाव की वास्‍तविकता से काफी प्रभावित हुए।

रक्षा मंत्री ने वायुयान विकास एजेंसी द्वारा एलसीए नौसेना के लिए निर्मित किए जा रहे तट (शोर) आधारित परीक्षण सुविधा का भी दौरा किया। एसबीटीएफ वायुयान वाहक परिवेश हूबहू प्रतिकृति है। इसी तट (शोर) पर छोटी उड़ान के लिए रैंप एवं अवरूद्ध लैंडिंग के लिए अरेस्‍टर वायर भी है। श्री एंटोनी ने उस सुविधा को भी देखा जिसका उद्घाटन कुछ ही महीनों किया जाएगा। इसका उद्घाटन हो जाने के बाद यह एलसीए नौसेना एवं मिग 29के दोनों के लिए परीक्षण व प्रशिक्षण संबंधी काम करेगा। इस अवसर पर उपस्थित वरिष्‍ठ अधिकारियों एंव गणमान्‍य हस्तियों में नौसेनाध्‍यक्ष, एडमिरल डीके जोशी, वाइस एडमिरल शेखर सिन्‍हा, पश्चिमी नौसेना कमान के कमांडर इन चीफ, वाइस एडमिरल एके चोपड़ा, पूर्वी नौसेना कमान के इन चीफ एवं वाइस एडमिरल सतीश सोनी, दक्षिणी नौसेना कमान के इन चीफ इन चीफ शामिल थे।

श्री एंटोनी ने इस समारोह में उपस्थित नौसेना स्टाफ के तीन पूर्वसैनिक एविएटरों एवं सेवानिवृत्‍त प्रमुखों जैसे एडमिरल (सेवानिवृत्त) आरएच तहलियानिन, एडमिरल (सेवानिवृत्त) अरुण प्रकाश एवं एडमिरल (सेवानिवृत्त) सुरेश मेहता का विशेष तौर पर उल्‍लेख किया।

आईएनएस 303 की कमान कैप्टन एडी थियोफिलस संभाल रहे हैं जो एक पारंगत एवं अनुभवी सी हैरीयर पायलट व योग्‍य फ्लाइंग प्रशिक्षक हैं।

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