लार्सन एंड टूब्रो उपकरण रखरखाव प्रबंधन समिति

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12 दिसंबर 2019 को लार्सन एंड टूब्रो उपकरण रखरखाव प्रबंधन समिति, एलटीईएमएमसी - 2019 की चौथी शीर्ष बैठक का आयोजन वाइस एडमिरल जीएस पब्बी, मटेरियल प्रमुख की अध्यक्षता में नई दिल्ली में किया गया जिसका विषय था 'आत्म-निर्भरता के लिए तालमेल की सुनिश्चितता'। इस बैठक से पहले हथियारों, बिजली, इंजीनियरिंग व हल उपकरणों के लिए उप-समिति की कार्रवाई एलएंडटी, तलेगांव और नई दिल्ली में 02 दिन तक आयोजित की गई।

वाइस एडमिरल जीएस पब्बी ने स्वागत भाषण दिया, जिस दौरान उन्होंने बताया कि एलएंडटी और भारतीय नौसेना के बीच इस प्रकार की उच्च स्तरीय वार्ताएं स्वदेशीकरण के जरिए आत्म-सामर्थ्य और आत्म-निर्भरता हासिल करने के लिए ज़रूरी होती हैं। उन्होंने कहा कि एलएंडटी द्वारा निर्मित उपकरणों की संख्या में प्रगति के चलते, डिज़ाइन, उत्पादन और जीवनचक्र समर्थन की समस्याओं का संबोधन करने के लिए इस प्रकार की औपचारिक प्रणाली आवश्यक है। इसके अलावा, उन्होंने बताया कि पोत निर्माण और पोत मरम्मत के क्षेत्र में एलएंडटी के प्रवेश करने से, एलटीईएमएमसी मंच का महत्व बढ़ गया है। अध्यक्ष ने एलएंडटी की क्षमताओं का लाभ उठाने के महत्व पर प्रकाश डाला जिससे कि नौसेना हथियार प्रक्षेपण प्रणालियों, नौसेना वैमानिकी समर्थन उपकरण, अग्नि नियंत्रण समाधानों, संचार, वैमानिकी, सी4आई से लेकर मिसाइल प्रणालियों तक उपकरणों और प्रणालियों के स्वदेशीकरण में लगातार प्रगति को सुनिश्चित किया जा सके।

श्री जयंत डी पाटिल, कार्यकारी वीपी, पूर्ण कालिक निदेशक (रक्षा, एलएंडटी-एनएक्सटी) और बोर्ड सदस्य एलएंडटी लिमिटेड ने अपने भाषण में स्वदेशी विक्रेता आधार के विकास में नौसेना के अग्रणी प्रयासों और स्थानीय निर्माताओं के साथ अपने उदार संबंधों की सराहना की, जिनके चलते वर्तमान में नौसेना रक्षा उपकरणों के स्वदेशीकरण में सबसे आगे है। उन्होंने समिति को वाटरजेट प्रोपल्शन प्रणालियों, एकीकृत मंच प्रबंधन प्रणालियों, वैमानिकी समर्थन उपकरण आदि के शोध व विकास में एलएंडटी के प्रयासों की भी जानकारी दी। उन्होंने कट्टुपल्ली, चेन्नई में एलएंडटी पोत-निर्माण द्वारा तैयार की गई विशाल अवसंरचना पर भी प्रकाश डाला और भारतीय नौसेना से नौसेना डॉकयार्ड्स और शिप रिपेयर यार्ड्स के सामने आ रही असामान्य रीफिट लोड की समस्याओं का समाधान करने के लिए इन क्षमताओं का लाभ उठाने का आग्रह किया। उन्होंने नौसेना के तकनीक व सॉफ्टवेयर उन्नयन कार्यक्रमों में एलएंडटी इंफोटेक की ओर से समर्थन का भी आश्वासन दिया।

शीर्ष समिति की कार्रवाई में एलएंडटी द्वारा घरेलू रूप से डिज़ाइन और तैयार किए गए रडार, राकेट लॉन्चरों, टारपीडो ट्यूब लॉन्चरों, फ्लोटिंग ड्राई-डॉक (एफडीएन-2), नियंत्रण प्रणालियों पर चर्चाएं की गई, जिन्हें नौसेना के सीमावर्ती युद्धपोतों पर स्थापित किया गया है। इसके अलावा एलएंडटी ने नए रूप से विकसित 'मानवरहित जलमग्न व सतही वाहन' (यूयूएसवी) का प्रदर्शन किया जिसमें हाइड्रोग्राफी और खान की सफाई जैसे नौसेना के अनुप्रयोगों के लिए बहुत अधिक सामर्थ्य है। एलएंडटी के शोध व अनुसंधान प्रयासों को दिशा देने के लिए नौसेना की भविष्य में स्टाफ की आवश्यकताओं पर भी विचार किया गया।

सीओएम ने बताया कि भारतीय नौसेना देश के सामने आने वाले वाले नए-नए खतरों से निपटने के लिए ज़रूरी समुद्री उपकरणों की प्राप्ति के लिए एलएंडटी जैसे बड़े निजी पार्टनरों पर निर्भर रहेगी। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि, 'मेक-इन-इंडिया' पहल के समर्थन में नौसेना की मुख्य भूमिका एलएंडटी जैसी स्थापित कंपनियों के साथ अच्छी सार्वजनिक निजी पार्टनरशिप के चलते ही सफल हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि नौसेना एलएंडटी से यह अपेक्षा करती है कि भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय मानकों वाली आधुनिक तकनीक प्रदान करते रहने के लिए वह अपनी नई खोजों और अनुसंधान व विकास के प्रयासों में तेज़ी लाए।

एलटीईएमएमसी - 2019 शीर्ष समिति की कार्रवाई की अध्यक्षता वाइस एडमिरल जीएस पब्बी ने की। समिति ने एलएंडटी द्वारा निर्मित उपकरणों के जीवनचक्र समर्थन, अप्रचलन प्रबंधन, एलएंडटी इंफो टेक द्वारा नौसेना मंचों के रखरखाव, सॉफ्टवेयर विकास और नौसेना अनुप्रयोगों के लिए एलएंडटी द्वारा तैयार नई तकनीकों से जुड़ी समस्याओं पर विचार-विमर्श किया। इस कार्रवाई के दौरान एलएंडटी द्वारा तैयार की गई आधुनिक तकनीकों का भी प्रदर्शन किया गया।

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