मेरिटाइम हिस्ट्री सोसाइटी की 40वीं वार्षिक संगोष्ठी का मुंबई में आयोजन

मेरिटाइम हिस्ट्री सोसाइटी की 40वीं वार्षिक संगोष्ठी का मुंबई में आयोजन

22 नवंबर 2019 को मेरिटाइम हिस्ट्री सोसाइटी ने भा नौ अ पो अश्विनी के अगस्त्य ऑडिटोरियम में अपनी 40वीं वार्षिक संगोष्ठी का आयोजन किया जिसका विषय था - "समुद्री विरासत: सांस्कृतिक सहभागिता के जरिए शिक्षा।" वाइस एडमिरल आरबी पंडित अध्यक्ष एमएचएस और चीफ ऑफ़ स्टाफ, पश्चिमी नौसेना कमान ने अपने आरंभिक भाषण में सोसाइटी के गठन के कारण पर प्रकाश डाला और समुद्री विरासत के संरक्षण के महत्व पर ज़ोर दिया। कोमोडोर सी उदय भास्कर (सेवानिवृत्त), निदेशक, सोसाइटी फॉर पॉलिसी स्टडीज़, नई दिल्ली ने अपने मुख्य संबोधन में भारतीय समुद्री इतिहास, साहित्य, कला और दर्शन में समुद्र के चित्रण पर व्यापक जानकारी दी।

इस संगोष्ठी में दो तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। पहले सत्र में "अंतर्राष्ट्रीय समुद्र: सांस्कृतिक संबंधक के रूप में समुद्र" विषय पर पैनल द्वारा चर्चा की गई। कोमोडोर श्रीकांत केसनुर, निदेशक मेरिटाइम वारफेयर सेंटर की मध्यस्थता में कोमोडोर नौसेना डॉकयार्ड के कोमोडोर गौतम मारवाहा और इंडिया टुडे के कार्यकारी संपादक संदीप उन्निथन ने व्यापार और प्रभुत्व के माध्यम के रूप में समुद्रों के ऊपर चर्चा की। इस सत्र में उन्होंने समुद्री गतिविधि के परिणामस्वरूप विश्व संस्कृति पर भारतीय संस्कृति के प्रभाव का मूल्यांकन किया।

इस संगोष्ठी के दूसरे तकनीकी सत्र का विषय भारत की पोत निर्माण विरासत था, जिसकी मध्यस्थता सोफिया कॉलेज के सहायक प्रोफेसर (इतिहास) डॉ। रशना पोंचा ने की। मेरिटाइम हिस्ट्री सोसाइटी के शोध सहायकों द्वारा दो पेपर प्रस्तुत किए गए। पहले पेपर का संबंध 'मांडवी, गुजरात में स्वदेशी नौका निर्माण परम्परा' से था जिसे सुश्री नेहा म्हात्रे और सुश्री अमृता तलवाडेकर ने प्रस्तुत किया।

दूसरे पेपर का विषय '18वीं - 19वीं सदी में बॉम्बे डॉकयार्ड की निर्माण विरासत' था। इसे सुश्री जाह्नवी लोकेगांवकर और श्री डेनर्द डी'सूज़ा ने प्रस्तुत किया जिसका मुख्य संबंध बॉम्बे डॉकयार्ड के शिपिंग उद्योग के योगदान और भूमिका से था जिसके कारण एक व्यस्त आधुनिक मेट्रोपोलिस का निर्माण हुआ।

समापन भाषण एमएचएस के संरक्षक, एडमिरल अरुण प्रकाश ने दिया जिन्होने मेरिटाइम हिस्ट्री सोसाइटी और उसके कार्यक्रमों, अकादमिक कार्यों और उसकी शोध परियोजनाओं, अकादमिक संस्थाओं से सहयोग और संगठन की भविष्य की कार्रवाई के बारे में समझाया। अंत में, क्यूरेटर और शोध प्रमुख एमएसएच ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया। स्थल पर चुनिंदा कलाकृतियों और चित्रकारी की एक छोटी से प्रदर्शनी भी आयोजित की गई थी।

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