डीआईएमडीईएक्स 16 के लिए आईएनएस ब्यास की दोहा, कतर यात्रा

डीआईएमडीईएक्स 16 के लिए आईएनएस ब्यास की दोहा, कतर यात्रा

डीआईएमडीईएक्स 16 के लिए आईएनएस ब्यास की दोहा, कतर यात्रा

आईएनएस ब्यास जहाज पर वीआईपी यात्रा

भारतीय नौसेना का जहाज ब्यास, 28 मार्च से 02 अप्रैल 16 को दोहा, कतर में आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय समुद्री रक्षा प्रदर्शनी (डीआईएमडीईएक्स) के पांचवें संस्करण में भाग लेने के लिए तैयार है।

डीआईएमडीईएक्स 16 के लिए आईएनएस ब्यास की दोहा, कतर यात्रा

राजचिह्न का आदान-प्रदान

डीआईएमडीईएक्स का आयोजन हर दूसरे वर्ष दोहा में होता है, जो हमारी स्वदेशी जहाज़ निर्माण क्षमता और तकनीकी कौशल के साथ-साथ नौसेना प्रणाली में नवोन्मेष के प्रदर्शन के लिए एक आदर्श मंच प्रदान करता है। 11 जुलाई 05 को नौसेना में शामिल आईएनएस ब्यास ब्रह्मपुत्र श्रेणी का स्वदेश निर्मित युद्धपोत है, जो डीआईएमडीईएक्स में भारतीय नौसेना का प्रतिनिधित्व करेगा। कोलकाता में मेसर्स गार्डन रीच शिपबल्ल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड द्वारा निर्मित यह जहाज एक आधुनिक पनडुब्बी रोधी युद्धपोत है, जो अत्याधुनिक हथियारों एवं सेंसर प्रणाली से सुसज्जित है। स्वदेशी उपकरणों से युक्त यह जहाज पूर्वी एवं पश्चिमी मूल के अद्भुत संयोजन का प्रतिनिधित्व करता है, साथ ही यह सतह पर और हवा में अपनी मारक क्षमता के अलावा मिसाइल रोधी तथा पनडुब्बी रोधी क्षमता प्राप्त करने के लिए नवोन्मेष का उपयोग करता है। इस जहाज के नियंत्रण का दायित्व कैप्टन दीपक भाटिया को दिया गया है, जो नौचालन और संक्रियात्मक कार्यवाही के विशेषज्ञ हैं।
 
यात्रा के दौरान, जहाज में कतर एमरी नौसेना के साथ पेशेवर स्तर की वार्ता भी होगी। इस यात्रा से विभिन्न देशों के भाग लेने वाले युद्धपोतों के साथ बातचीत का अवसर भी मिलेगा। इस प्रकार की वार्ताओं से संबंधों को सुदृढ़ बनाने, आपसी समझ बढ़ाने और 'मैत्री का पुल' बनाने में सहयोग मिलेगा।

पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर, कमांडिंग इन चीफ, वाइस एडमिरल सुनील लांबा, पीवीएसएम, एवीएसएम, एडीसी, भी जहाज की यात्रा की अवधि के दौरान दोहा जाएंगे। अपनी यात्रा के दौरान, फ्लैग ऑफिसर मध्य-पूर्व के कमांडरों के सम्मेलन (एमईएनसी) को भी संबोधित करेंगे।

दोहा में आयोजित डीआईएमडीईएक्स 16 में आईएनएस ब्यास की यात्रा से भारत को स्वदेशी जहाज निर्माण क्षमता एवं समुद्रिक कौशल के प्रदर्शन का अवसर मिलेगा, साथ ही कतर के अलावा इसमें भाग लेने वाले अन्य देशों के साथ समुद्रिक संबंधों को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।

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