इंद्रा -14

भारत - रूस नौसेना अभ्यास (इंद्रा नेवी -14)

भारत - रूस नौसेना अभ्यास (इंद्रा नेवी -14)। भारत एवं रूस की नौसेनाओं के बीच के अभ्यास को 'इंद्रा नेवी' का नाम दिया गया है, जिसकी शुरुआत वर्ष 2003 में हुई थी। भारत के पश्चिमी और पूर्वी, दोनों तटों पर मई 2003 में पहले भारत-रूस द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास का आयोजन किया गया था। 14 जुलाई को भारतीय नौसेना के पूर्वी बेड़े के जहाज, अर्थात शिवालिक, रणविजय और शक्ति, पूर्वी बेड़े के फ्लैग ऑफिसर, रियर एडमिरल अतुल कुमार जैन, वीएसएम के कमान के तहत इस अभ्यास में भाग लेने के लिए व्लादिवोस्तोक, रूस पहुंचे। दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत बनाना एवं इसे आगे बढ़ाना तथा संयुक्त नौसेना अभ्यास 'इंद्रा नेवी -14' में शामिल होना, इस यात्रा के मुख्य उद्देश्य हैं।

INDRA - 14

इस अभ्यास में रूसी नौसेना का प्रतिनिधित्व आपूर्ति जहाजों के अलावा निर्देशित-मिसाइल क्रूजर वारयाग, विध्वंसक बायस्त्री और बड़े लैंडिंग क्राफ्ट पेरेसवैट ने किया। इस अभ्यास में प्रशांत बड़े के हवाई जहाजों के साथ-साथ भारतीय नौसेना की भी सक्रिय भागीदारी थी। इस छह दिवसीय अभ्यास का आयोजन दो चरणों में किया गया, अर्थात बंदरगाह चरण और समुद्री चरण। समुद्री चरण का आयोजन 17 से 19 जुलाई, 14 के बीच जापान सागर में पीटर द ग्रेट बे से दूर किया गया था। समुद्री चरण का आयोजन 17 से 19 जुलाई, 14 के बीच जापान सागर में पीटर द ग्रेट बे से दूर किया गया था। समुद्री के चरण के दौरान दोनों देशों के जहाजों ने सामरिक दाँव-पेंच, बिना चेतावनी के आक्रमण के खिलाफ बचाव, क्रॉस डेक हेलीकॉप्टर ऑपरेशन, संकट में फंसे जहाज को सहायता प्रदान करना, समुद्र में पुनःआपूर्ति, पनडुब्बी रोधी अभियानों के संयुक्त प्रबंधन, तथा हवाई एवं सतही हमलों से सुरक्षा जैसी गतिविधियों में भाग लिया।

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