आईएनएस ट्राटा
आईएनएस ट्राटा की नियुक्त समारोह के दौरान परेड
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
संस्कृत में ट्राटा शब्द का अर्थ 'संरक्षक' होता है। इस यूनिट को 12 दिसंबर 1964 को नियुक्त किया गया था जब भारतीय नौसेना ने आर्मी से कोलाबा पॉइंट पर स्थित कोस्टल बैटरी को अपने हाथ में ले लिया, जो वर्तमान में आईएनएस कुंजली है। तत्कालीन चीफ ऑफ नेवल स्टाफ, वाइस एडमिरल बीएस सोमन ने इसे आईएनएस ट्राटा के रूप में नियुक्त किया। 26 अगस्त 1988 को नौसेना के एमएमसीबी स्क्वाड्रन को शामिल किया गया। जब यह अगस्त 1992 में वर्ली में स्थानांतरित हो गया, तो इसे कमांडिंग ऑफिसर, आईएनएस ट्राटा के नियंत्रण में रखा गया। आईएनएस ट्राटा/ मोबाइल मिसाइल कोस्टल बैटरी (एमएमसीबी) स्क्वाड्रन इस अर्थ में भारतीय नौसेना में अद्वितीय है कि न केवल यह एक परिचालन मिसाइल स्क्वाड्रन है बल्कि शोर प्रतिष्ठान भी है, जिसका उद्देश्य मिसाइल कवरेज/ गुजरात और महाराष्ट्र के तट पर तटीय रक्षा प्रदान करना है।
एमएमसीबी स्क्वाड्रन की भूमिकाएं
एमएमसीबी स्क्वाड्रन की भूमिकाओं में शामिल हैं: -
- दुश्मन जहाज हमलों से अपने खुद के नवल बेस की रक्षा करना।
- दुश्मन जहाजों से अपने स्वयं के जहाजों की रक्षा करना।
प्रमुख उपलब्धियां
इस इकाई की प्रमुख उपलब्धियां निम्नलिखित हैं:-
- डब्लूएनसी कॉम्बैट फायरिंग टीम ने प्रतिष्ठित आईएनएएमसी बैनर को लगातार दो बार जीता है। आईएनएस ट्राटा आईएनएएमसी के लिए कमांड के निशानेबाजों के चयन और प्रशिक्षण के लिए जिम्मेदार है।
- यूनिट ने लगातार तीन बार कमान पर्यावरण ट्रॉफी जीती है।
आईएनएमएसी बैनर
कमांड पर्यावरण ट्रॉफी 2011-12
- इस इकाई ने नेट सेंटरिक ऑपरेशंस इक्यूपमेंट, कम्यूनिकेशन सेट और एक्शन इंफोर्मेशनऑर्गनाइजेशन फैसिलिटीज के साथ एक अत्याधुनिक मोबाइल कमांड प्लेटफार्म (एमसीपी) का निर्माण किया है। एमसीपी ने इस इकाई को किसी नौसेना अभ्यास में रणनीतिक स्थिति की वास्तविक समय की रूपरेख तैयार करने में सक्षम बनाया है।
एमएमसीबी और एसएसवी की ओपी उपलब्धता
इस इकाई ने एमएमसीबी और विशेषज्ञ वाहनों की अधिकतम और इष्टतम ओपी उपलब्धता सुनिश्चित की है।